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________________ 11221 1123|| ।।24॥ 1125॥ |॥26॥ ||27॥ ॥28॥ अण्णाइ य गणहर भासियाईं सामण्ण केवलि कयाई पत्तेय सयं बुद्धेहिं विरइयाई गुणेति महरिसिओ कत्थइ पंचावयवं दसह च्चिय साहणं परुति पच्चक्खणुमाण पमाण चउक्कयं च अण्णे वियारेंति भवजलहि जाणवन्तं पेम्म महाराय णियल णिद्दलणं कम्मट्ठ गठिवलं अण्णे धम्म परिकहेंति मोहंधयार रविणो परवाय (इ) कुरंग दरिय केसरिणो णय सय रवर णहरिल्ले अण्णे अह वाइणो तत्थ लोयालोयपयासं दूरंतर सण्ह वत्थु पज्जोयं केवलि सुत्तणिबद्धं णिमित्त मण्णे वियारंति णाणा जीउप्पत्ती सुवण्ण मणिरयणधाउ संजोयं जाणंति जणिय जोणी जोणीणं पाहडं अण्णे अट्ठिसय पंजरा इव तव सोसिय चम्ममेत पडिबद्धा आबद्ध किडिगिडिखा पेच्छइय तवस्सिणो अण्णे ललिय वयणत्थ सागरदं सव्वालंकार णिव्वडिय सोहं अमयप्पवाह महुरं अण्णे कव्वं विइंतंति बहुतंत मंत विजा वियाणया सिद्ध जोय जोइसिया अच्छंति अणुगुणेंता अवरे सिद्धंत साराई मणवयण कायगुत्ता णिरुद्ध णीसास णिच्चलच्छीया जिणवयणं झायंता अण्णे पडिमा गया मुणिणो अविय कहिंचि पडिमा गया, कहिंचि णियमट्ठिया, कहिंचि वीरासण ट्ठिया, कहिंचि उक्कुडुयासण ट्ठिया, कहिंचि गोदोह संठिया, कहिंचि पउमासण ट्ठियत्ति । अविय इय पेच्छइ सो रायासज्झाय रए तवस्सिणो धीरे णित्थिण्ण भव समुद्दे रुदेण जिणिंद पोएणं केइ पढंति सउण्णा अवरे पालैंति धम्म सत्थाई अवरे गुणेति अवरे पुच्छंति य संसए केइ वक्खाणंति कयत्था अवरे वि सुणेति के वि गीयत्या अवरे रएंति कव्वं अवरे झाणम्मि वटुंति -284 ॥29॥ ॥30॥ ॥31॥ ॥32॥ ||33॥ ॥34॥
SR No.022757
Book TitleNavpad Manjusha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmityashsuri
PublisherSohanlal Anandkumar Taleda
Publication Year2005
Total Pages654
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size38 MB
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