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________________ ॥4॥ ॥5॥ ॥6॥ 1171 ॥8॥ ॥9॥ ॥10॥ जे कम्म खयट्ठाए सुत्तं पाढेंति सुद्ध लेसिल्ला ण गणेति णियय दुक्खं पणओ अज्झावए ते हं अज्झावयाण तेसिं भदं जे णाण दंसण समिद्धा बहुभविय बोहजणयं झरंति सुत्तं सया कालं अज्झावयस्स पणमह जस्स पसाएण सव्व सुत्ताणि णजंति पढिजंति य पढम चिय सव्व साहूहिं उवज्झाय णमोकारो कीरंतो मरण देस कालम्मि कुगई रुंभइ सहसा सोग्गइ मग्गम्मि उवणेइ उवज्झाय णमोकारो कीरंतो कणइ बोहिलाभं त तम्हा पणमह सव्वायरेण अज्झावयं मुणिणो उवज्झाय णमोकारो सुहाण सव्वाण होइ तं मूलं दुक्खखयं च काउं जीयं ट्ठावेइ मोक्खम्मि सुयसुत्तगुण धारण अज्झायणज्झायणेक्क - तल्लिच्छे उवयार करणसीले वदामि अहं उवज्झाए साधु पद साहूण णमोक्कारं करेमि तिविहेण करण जोएण जेण भवलक्ख बद्धं रवणेण पावं विणासेमि पणमह तिगुत्ति गुत्ते विलुत्त मिच्छत पत्त सम्मत्ते कम्म करवत्त पत्ते उत्तम सत्ते पणिवयामि पंचसु समिईसु जए ति सल्ल पडिपेल्लणम्मि गुरुमल्ले चउविकहा पम्मुक्के मय मोह विवजए धीरे __पणमामि सुद्धलेसे कसाय परिवजिए जियाण हिए छजीव काय रक्खण परे य पा(प) रंपरं पत्ते चउसण्णा विप्पजढे दढव्वण वय गुणेहिं संजुत्ते उत्तम सत्ते पणओ अपमत्ते सव्वकालं पि परिसहबल पडिमल्ले उवसग्ग सहे पहम्मि मोक्खस्स विकहा पमायरहिए सहिए वंदामि समणेऽहं समणे सुयगे सुमणे समणे य पावपंकस्सऽ सेवए सवए सुहए समए च सच्चए साहु अह वंदे |॥2॥ ॥3॥ ॥4॥ ॥5 ॥ ॥6 ॥ ॥7 ॥ -282 -
SR No.022757
Book TitleNavpad Manjusha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmityashsuri
PublisherSohanlal Anandkumar Taleda
Publication Year2005
Total Pages654
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size38 MB
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