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________________ ॥12॥ ॥13॥ ॥14॥ ॥15॥ ।।16।। ॥17॥ ||18॥ उप्पत्तिया वेणइआ कम्मि या पारिणामिआ बुद्धी चउन्विहा वुता पंचमा नोवल भए पुव्वमदिट्ठमस्सुअम वे इअ तक्खणविसुद्ध गहिअत्था अव्वाहय फल जोगिणि बुद्धि उप्पत्तिआ नाम भरहसिलपणिअरुकखे खुडग पड सरड काग उच्चारे गय घयण गोल खरे खड्ग मग्गित्थि पइ पुत्ते । भरह सिल मिढ कुक्कुड तिल वालुअ हत्त्थि अगड वणसंडे पायस अइआ पत्ते खाडडिला पंचपिअरो ___ महु सित्थ मुद्दिअंके अ नाणए भिक्खु चेडगा निहाणे सिक्खा य अत्थ सत्ये इच्छा य महं सयसहस्से भरनित्थरण समत्था तिवग्ग सुत्तत्थ गहिअ पेयाला उभओ लोग फलवई विणइय समुत्था हवइ बुध्धी । निमित्ते अत्थ सत्थे अलेहे गणिए अ कूवे अस्से अ गदह लक्खण गंठी अगए गणिआ य रहिओ अ सीआ साडी दीहं च तणं अवसव्वयं, च कुंचस्स निव्वोदए अ गोणे घोडग पडणंच रुकरवाओ उवओग दिट्ठसारा कम्मपसंग परिधोलण विसाला साहक्कार फलवई कम्मसमुत्था हवइ बुद्धी हेरन्निए करिसए कोलिअ डोवे अ मक्ति घय पवए तुत्राग वड्डई पूइए अ घट चित्तकारे अ अणुमाण होउ दिटुंत साहिया वयविवाग परिणामा हिअ निस्सेअस फलवई बुद्धी परिणामिआ नाम अभए सिट्ठि कुमारे देवी उदिओदए हवइ राया साहअ नंदिसेणे धणदत्ते सावग अमच्चे __ खवगे अमच्चपुत्ते चाणक्के चेव थूलभद्देअ नासिक्क सुंदरी नंदे वइरे परिणामिआ बुद्धी चलणाहय आमंडे मणी अ सप्पेअ खग्गि थूभिंदे परिणामिअ बुद्धीए एवमाई उदाहरणा न क्लिम्मइ जो तवसा सो तव सिद्धो दढप्पहारिव्व सो कम्मक्खय सिद्धो जो सव्वक्खीण कम्मंसो ॥19॥ ||20॥ ||21।। 1122॥ 1123|| ॥24॥ ||25|| . 1126॥ -259
SR No.022757
Book TitleNavpad Manjusha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmityashsuri
PublisherSohanlal Anandkumar Taleda
Publication Year2005
Total Pages654
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size38 MB
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