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________________ ॥22॥ ||23॥ 124॥ ||1|| ॥2॥ ॥3॥ अरिहंत नमुकारो धन्नाण भवक्खायं कुणंताणं हिअयं अणुम्मुअंतो विसुत्तियावारओ होइ अरिहंत नमुक्कारो एवं खलु वण्णिओ महत्थुति जो मरणम्मि उवग्ग अभिक्खणं कीरए बहुसो अरिहंत नमुक्कारो सव्वपावप्पणासणो मंगलाणं च सव्वेसिं पढम हवइ मंगलं सिद्ध पद कम्मे सिप्पे अ विजाय मंते जोगे अ आगमे अत्थजता अभिप्पाए तवे कम्मक्रवए इय कम्मं जमणायरिओवएसयं सिप्पमन्नहाऽभिहिअं किसिवाणिज्जाईयं घडलोहाराइ भेअंच . जो सव्वकम्मकुसलो जो वा जत्थ सुपरिनिटिओ होइ सिज्झगिरि सिद्धओविव स कम्मसिद्दत्ति विनेओ जो सव्वसिप्पकुसलो जो वा जत्थ सुपरिनिट्ठिओ होइ कोकासवडई विव साइसओ सिप्पसिद्धो सो इत्थी विजॉभिहिया पुरिसो मंत ति तव्विसेसोयं विजा ससाहणावा साहणरहिओ मंतु त्ति विजाना चक्कवट्टी विनासिद्धो स जस्स वेगावि सिजिज महाविना विनासिद्धऽन्न खउडुव्वं साहीण सव्वमंतो बहुमंतो पहाण मंतो वा नेओ स मंतसिद्धो खंभागरिसु व्व साइसओ सव्वेवि दव्वजोगा परमेच्छेरय फलाऽहवेगोऽवि जस्सेह हुन्न सिद्धो स जोगसिद्धो जहा समिओ आगम सिद्धो सव्वंग पारओ गोअमुव्व गुणरासी पउरत्थो अत्थपरो व मम्मणो अत्थसिद्ध त्ति ___ जो निच्चसिद्धजत्तो लध्धवरो जो व तुंडियाइ व्व सो किर जत्तासिद्धोऽभिप्पाओ बुद्धिपजाओ विउला विमला सुहुमा जस्स मई जो चउविहाए वा बुद्धीए संपन्नो स बुद्धिसिद्धो इमा सा य ॥4॥ ॥5॥ 116॥ 117॥ ॥8॥ ॥9॥ ॥10॥ ||11|| -258
SR No.022757
Book TitleNavpad Manjusha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmityashsuri
PublisherSohanlal Anandkumar Taleda
Publication Year2005
Total Pages654
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size38 MB
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