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________________ The Carcati Song कामयम्मि मा लग्गह भव-सय-कारए विरम विरम मा हिंडह भव-ससारए ।। सौंबुज्झह. 2. Caupannamahāpurisacariya, p. 186, 11. 15-27. तओ ढक्कारबमायण्णिऊण पडिबुद्धो सयलो वि सामत-तलवग्ग-सौंदोहो त्ति । तओ य किं का पयत्ता ? अवि यसिढिलिऊण दइयं पिय गुदलसालय, कोइ सिहिणधणफलहरवच्छविसालय। ण दणं व विरहुग्गयतावपणासय, सामिकज्जि बहु मण्णइ णवर पवासय ॥ ९० अण्णाए कठवलइय, मोइज्जइ कह वि ओसुहेल्लयपि । सुहडेण सामिकज्जए, दइयालइयसिणेहपासय व ॥ ९२ विलुलियसिढिल केसचटुलीकयच चलवालय, सौंठवेसु देवरतणुतरलयवालय । भणइ कोइ मह सुन्दरि ! मुय माणल्लय, वयणय च मा वुब्भउ बाहजलोल्लयं ॥९१ उपतीए कवयं, कीए वि रक्खासह ति दइयस्स । आलिंगिज्जइ बहुसो, गुणाण रज्जइ जणो ण रूवस्स ॥९३ जंतदइयमवयच्छिय कीए विसालय, उण्णवेवि मुहमुब्भडजणियविओलय । दुणिमित्तसकाए विसायबसुब्भए, वाहओ पहोलिज्जइ लोयणमज्झए ॥९४ सुपडित्थिरपरिसप्पयं, को वि समारुहइ ससए वि मिलियाण । ववसाय पिव तुरयय', सहायय आवईए ससियाण ।।९५ को वि गलियकरडयडपलोट्टियदाणय, गुरुविपक्खभेयक्खमदीहविसाणयौं । णिययपुरिसयार पिव परभडभजय, आरुहेइ गुरुमयगलमइदप्पुज्जय ॥९६ कीए वि गओ त्ति दइयओ, विरहभयाहित्थवेविर गयाई । अविल बियाइ तुरियय, वयंसियाए व्व णवर मुच्छयाए ॥९७ 3. Ibid, p. 190, 11. 25-28. अवि य सुरहिपरिमलुद्दामपलोट्टियदाणओ, चूयम जरीजालविणितविसाणओ । गयवतीण वित्थारियविरहदुहासओ, वारणो व्व पवियम्भइ माहवमासओ ॥१३७ कयगुरुविरहुव्वेयय, भमतभसला लियासमीवयम्मि । .. पहिएहिं सभमाउल, पलोइया कुवियकालस'कलो व्व ॥ १३८
SR No.022756
Book TitleIndological Studies
Original Sutra AuthorN/A
AuthorH C Bhayani
PublisherParshva Prakashan
Publication Year1993
Total Pages376
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size25 MB
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