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________________ ६०. पछी बुद्धिमान स्वामीए पोतानी माताने तो पोताना मामाने त्यां मोकली दीधी. कारण के पोतानी मातानी दुर अवस्था कोई पण सजीव पुरुष सहन करी शकता नथी. ६१. अने पोते दंडकारण्यना तपस्वीओनी पासेथी संतोषथी पोताना नगरमां गया अने त्यां पासेना एक बागमां उता. ६२. पछी मित्रोने त्यां बेसाडीने पोते नगरमां चारे तरफ ज्यां त्यां विहार करवा लाग्या, कारण के बन्धनरहित इंद्रियरुपी हाथी कांइ एक जग्याए रहेतो नथी. ६३. पछी बुद्धिमान कुमार राजपुरीने जोईने अत्यंत खुशी थया, कारण के प्राणीओए ममतानी बुद्धिथी करेलो मोह बहु वधारे होय छे; अर्थात् जे वस्तुमा एवी बुद्धि होय छे के, आ मारी छे, तेमां प्राणी बहु मोह करे छे. ६४. ते वखते कोई क्रीडा करती स्त्रीए पोताना महेलना अग्रभागथी एक दडो नांखी दीघो. सत्य छे, के सम्पत्ति अने आपत्तिनी प्राप्ति कोईने कोई बहानाथीज थाय छे. ६५. ज्यारे अंतरंग बुद्धिवाळा स्वामीए उंचे मुख करीने जोयुं, त्यारे ए दडो नांखनारी तरुण स्त्रीने जोईने ते मोहित थई गया. कारण के जीतेंद्रिय अथवा इंद्रिओने वशमां राखनार पुरुषोनां मन योग्य वस्तुपरज जाय छे. ६६. पछी मोहने वश थईने ते तरतज तेना महेलना छजापर चढी गया. कारण के पुण्यवानोनी ईच्छा पण निष्फळ थती नथी; अर्थात् विचार करतांज तेमना कार्यनी सिद्धि थई जाय छे. ६७. तेमने ए रीते छजापर चढता जोईने कोई वैश्यपति ( शेठ ) आव्या अने बोल्या; कारण के
SR No.022747
Book TitleJivandhar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKshatrachudamani
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1913
Total Pages132
LanguageHnidi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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