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स्वप्नद्वारा राजाने जागृत करवानुं इच्छ्युं हतुं, परंतु ते जागृत थयो नहि; अर्थात् तेणे विषय भोगने छोडीने पोताना राज्यने संभाव्यु नहि. हवे राणीए गर्भ धारण कयों; तेथी मानो के तेणे राजाने फरी संबोधित कर्यो के सचेत थई जाओ. ३३. हवे राजा, राणीने गर्भवती जोईने अने स्वप्मनुं फळ निश्चय करीने पोतानी रक्षाने माटे तत्पर थईने पश्चाताप करवा लाग्यो. ३४. “ हु बहु अभागी छु, के में मंत्रिओनां वाक्योर्नु वृथा उलंघन कयु. “सत्य छे के अविवेकी अर्थात् मूर्ख पुरुष अन्तकाळेज सज्जनोना बचनपर विश्वास करे छे, पहेलां नहि. ३५. विना समये करेली इच्छा मनोरथने पूर्ण करती नथी. जुओ, ज्यारे फळ लागवानो वखत आवे छे त्यारे शुं फूल एकठां करवामां आवे छे ? कदापि नहि." ३६.
राजाए ए रीते मनमां दुःखी थईने पोताना वंशनी रक्षाने माटे एक मयुराकृति यंत्र बनाव्यु; कारणके सज्जनोनी आस्था
आ नाशवान शरीरमां होती नथी, जेटली के यशरुपी शरीरमां होय छे. ३७. अने पछी ते पोतानी गर्भवंती राणीनी दोहद क्रीडाओनो अनुभव करवाने माटे क्रीडा करवा लाग्यो अने तेने ते केकीयंत्रमा (मयुर यंत्रमां) बेसाडीने आकाशमां विहार करवा लाग्यो. ३८.
____एवा वखतमां राजानो वध करवानी कृतघ्नता करनार अने पृथ्वीने पोताना ताबामां लावनार काष्ठांगार विचारवा लाग्यो के-३९. “जीवोने पराधीन जीवन व्यतीत करवाथी