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पुरुष जे कार्य करवा ईच्छे छे, ते ज्यां सुधी पूर्ण थतुं नथी, त्यां सुधी विश्राम लेता नथी. ६. अने विदेह देशनी धरणीतिलका नामनी राजधानी के जे धरणीमां ( पृथ्वीमां ) तिलक स्वरुप उत्तम नगरी छे, त्यां पहोंच्या. ७. त्यां तेमना मामा विदेहदेशना राजाए तेमनो बहु आदरसत्कार कर्यो. एवो कोण छे, जे पोतानी बहेनना महा भाग्यवान् पुत्रनो आदरसत्कार करतो नथी ? सर्व करे छे. ८. गोविन्दराज पण जीवंधर कुमारना गयेला राज्यनी स्थापना करवाने तैयार थया. ज्यारे मत्त हाथी पोतेज दन्तप्रहार करवा इच्छे छे, त्यारे बीजाना करवाथी तो कहेज शु अर्थात् गोविन्दराज तैयार हताज. पछी कुमारना कहेवाथी तो तैयार थवाज छे. ९.
पछी शत्रुने केवी रीते जीतवा जोईए, अथवा शत्रुना विषयमां शुं करवू जोईए, ए प्रकारनी वातोना जाणनार राजाए मंत्रशाळामां आवीने मंत्रीओ साथे सलाह करी. कारण के कोई वातनो निश्चय सलाह विना करवो जोईए नहि. अने ज्यारे कोई वात करवानो निश्चय कर्यो होय, त्यार पछी सलाह करवी जोईए नहि. १०. ते वखते मंत्रीओने राजाए काष्टांगारनो आ संदेशो कह्यो;-कारण के शत्रुनुं हृदय जाणीनेज प्रतीकार प्रारंभ करवो जोईए. ११.-" राजा सत्यं धरने एक मदोन्मत हाथीए मारी नांख्या हता, परंतु पापना उदयथी तेने मारवानो अपजश मने लाग्यो छे. परंतु आ अपजशने आप जेवा यथार्थ वातने जाणनार जूठीज समझो छो. १२. ( हवे आप कृपा