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संसार तप और त्याग का ही पूजारी है । जिस के जीवन में तप और त्याग की जितनी मात्रा होती है, वह उतनी ही पूजा का पात्र बन जाता है । यही बात अतीत में वर्तमान में और भविष्य में ज्ञानी पुरुषों ने फरमाई है। इसीलिये उन्हीं तप और त्याग से संबंधित पुरुषों की जीवन कथायें लोग बड़े आदर के साथ गाते और सुनते हैं। . हमारे चरित नायक कुमार श्रीचंद्रराज की लीलापुर्ण जीवन कथा को मानव, दानव और देवता सर्वत्र गाया करते थे।
एक दिन की बात है। विद्याधरों के स्वामी मणिचूड और रत्नध्वज अपनी महा विद्या को साधकर मेरुपर्वत के नंदन वन से लौट कर पातालनगर में चले आये।