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________________ (***) मामका ही तो 'चिरंजीवी है? उसको चरित्र सारे देश में प्रसिद्ध है। इस विषय में सेठ लक्ष्मीदर और उनकी धर्मपत्नी साक्षी हैं । दान देने के सम्बन्ध में सेठ से कुछ मन मुटाव हो जाने के कारण हो वह इस समय अपने भाग्य के भरोसे विदेश यात्रा में गया हुआ है। घबराइयें नहीं वह इस वर्ष राजाधिराज होकर आप लोगों को आ मिलेगा । इसमें कोई संदेह नहीं । • इस प्रकार ज्ञानी गुरु के वचनामृत से परमानन्द को पाये हुए महाराजा और महारानी बहुत ही प्रसन्न हुए । सेठ सेठानी ने भी बड़े विनीत भाव से श्रीगुरुदेवकी बात को स्वीकार की इस पर महाराजा और महारानी ने उन दोनों को खूब सराहा। उनके साथ पहिले प्रेम तो था ही ' अब और भी ज्यादा बढ़ गया। गुरु महाराज के फरमाने से नैमित्तिक के वचन को सत्य-सिद्ध माना । उस समय वहां उपस्थित बन्दी जनों ने विद्वानों ने और कवियों ने श्रीचन्द्र का खूब ही यशो-वर्णन किया । नरसिंह - कुजादित्य प्रतापसिंह भूप भूः । जीयात् सूर्यवती सूनुः - श्री चन्द्रो जगतीतले ॥ अर्थात् — नरसिंह के कुल में सूर्य के समान प्रतापी महाराजा प्रतापसिंह से उत्पन्न होने वाले श्री सूर्यवती के पुत्र श्रीचन्द्र कुमार इस पृथ्वी पर चिरंजीवी रहो ।
SR No.022727
Book TitleShreechandra Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherJinharisagarsuri Jain Gyanbhandar
Publication Year1952
Total Pages502
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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