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( १८३ ) कोई रोड़े आयेंगे तो मैं उन सब को चीरता-फाडता फांदता-लांघता चला जाउंगा। मै अपने विचारों से तनिक भी टस से मस नहीं होगा।
मुझे नतो किसीका भय है, और न किसी की चिन्ता है । यदि थीडी बहुत चिन्ता है तो चन्द्रकला की है। अतः इसे अपने दिल की बात कह कर के, ठीक ढंग से समझा बुझा कर, प्रसन्न करके हो जाउंगा।
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