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( १५२ ) शीतल उपचार कर के बडी कठिनता से उसे होश में लाई । सारे राज महल में भारी तहलका मच गया। ____यह सारी घटना दौड़ कर प्रियंवदा ने राजकुमारी की माता से कही । वह भी बहुत जल्दी से पुत्री के प्रेम से
आकस्मिक हुई घटना के स्थल पर आगई । पुत्री की वैसी दशा देखकर रानी कहने लगी "बेटी! तुम इतनी उतावली हो कर दुःखी क्यों होती हो ? जरा धीरज धारण करो। तुम्हारे कल्याण में ही हम सब का कल्याण है। तुम स्वयं समझदार हो। हमें तुम्हारे पाणिग्रहण की चिंता है। हम तुम्हारी इछा को एक बडे भारी स्वयंवर' बहुत शीघ्र ही पुर्ण करने वाले हैं। ___ राजकुमारी ने मां को बीच में ही रोकते हुए कहामां ! सती कन्या एक वार जिसे मनसे वर लेती है, उसे छोड किसी दूसरे को पति रूपमें स्वीकार नहीं करती है। मुझे स्वयंवर की अब कोई इच्छा नहीं । अन्तिम रूप से मैं आप से सूचित कर देना चाहती हूं कि इस जन्म में कुशस्थल के श्रीचंद्र कुमार के साथ यदि मेरा व्याह न हुआ तो मैं आग में जल कर अपने प्राणों को दे दूंगी। .पुत्री के इस अटल निर्णय को सुन कर रानी चंद्रवती बडी चिन्तित हुई । उसने सेवकों के साथ राजा