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( १३५ ) ही करते हैं पर तारणहार तीर्थरूप सद् गुरु का समागम भारी भाग्य से ही मिलता है । मैं आज धन्यों से भी धन्य जीवनवाला आप के श्री चरणों के दर्शन से हो गया हूँ ।
हे भगवन् तत्व ! भरे आप के प्रवचन ने मुझे नवजीवन प्रदान किया है। हृदय की आंखें आज मेरी खुल गई हैं । मैं आज पंच परमेष्ठी महा मंत्र का जाप करने की प्रतिज्ञा करता हूँ। इस प्रकार श्री गुरु महाराज की स्तुति
और वंदना करकं कुमार ने वहां से आगे के लिये प्रस्थान किया।