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________________ ही रहते थे। सूरिजी का आना द्वीपबन्दर के पास उन्नत नगर में हुआ। उसी स्थानपर परम पूज्य-प्रातःस्मरणीय गुरुवर्य भीहीरविजयसूरिजी का देहान्त हुया था। वहां आपने सबके प्रथम अपने गुरु वयं की पादुका के दर्शन किये । और उसके बाद फिर उन्नत नगर में प्रवेश किया। दीपबन्दर से 'मेघजी' नामक एक व्यवहारी और 'लाडकी' ना. , मकी उसकी शीलवती भार्या, यह दोनों उन्नत नगर में सूरिजी के द. .र्शनार्थ आए । बहां आकर उन्होंने भीसूरीश्वर के हाथ से प्रतिष्ठा क - रबाई । यहाँपर भी नवीन प्रतिष्ठानों की धूम मचगई । एक 'अमूला' नामकी भाविका ने प्रतिष्ठा करवाई। दूसरी द्वीप मन्दिर निवासी का. लीदास' नामक श्रावक ने भी करवाई। श्रीसंघ के प्राग्रह से चातुर्मास मापने यहांही किया। चातुर्मास पूर्ण होने के बाद आप ' देवपत्तन पधारे। इस नगर में अमरदत्त, विष्णु और लालजी नामक तीन बड़े धनिक रहते थे। इन तीनों ने बड़े समारोह के साथ श्रीसूरीश्वर के हाथ से तीन प्रतिष्ठाएं करवाई। यहां से बिहार करके आप भीदेवकुल पाटक(देलवाड़ा) पधारें । यहां भी 'हीरजी' नामक भाषक के घर में एक प्रतिष्ठा की और दूसरी शोभा नामकी भाविका के घर में। ..
SR No.022726
Book TitleVijay Prashasti Sar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyavijay Muni, Harshchandra Bhurabhai
PublisherJain Shasan
Publication Year1912
Total Pages90
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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