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________________ (३५२) | ताव च्चिय सुइआइँ जा देहं णेय पावेंति ।। देहम्मि पुणो पत्ता खणेण मल-सेय-गंध-परिमिलिया । 3 ओमालयं ति भण्णइ असुइत्तं जंति सव्वे वि ।। तम्हा असुइ सरीरं सुंदरि भावेसु जेण णिव्वेओ । 5 उप्पज्जइ तुह देहे लग्गसि धम्मम्मि णिण्णेहा ।। चिंतेसु आसवाई पावारंभाइँ इंदियस्साइं । 7 फरिसिंदिय-रस-विवसा बहुए पुरिसा गया णिहणं ।। ____फरिस-सुहामय-लुद्धा वेगसरी गेण्हए उ जा गब्भं । 9 पसवण-समए स च्चिय अह दुक्ख पावए घोर ।। बहु-करिणी-कर-कोमल-फरिस-रसासाय-दिण्ण-रस-लोलो । 11 बज्झइ वारीबंधे मत्त-गओ फरिस-दोसेण ।। इह लोए च्चिय दोसा परलोए होइ दुग्गई ताण । 13 फासिंदिय-लुद्धाणं एत्तो जिभिंदियं सुणसु ।। मय-हत्थि-देह-पविसण-रंभण-वासोह-पत्त-उयहि-जले । 15 जह मरइ वायसो सो धावंतो दस-दिसं मूढो ।। हेमंत-थीण-घय-कुंभ-भक्खणे मूसओ जहोइण्णो । 17 गिम्हम्मि विलीयंते मरइ वराओ रसण-मूढो ।। गोट्ठासण्ण-महद्दह-वासी कुम्मो जहा सुवीसत्थो । 19 रसणेदिय-लोल-मणो पच्छा मारिजइ वराओ ।। जह मास-पेसि-लुद्धो घेप्पइ सेणो झसो व्व बडिसस्स । 21 तह मारिज्जइ पुरिसो मओ य अह दोग्गइं जाइ ।। घाणिदिए वि लुद्धो ओसहि-गंधम्मि बज्झए सव्वो । 1) J च्चिय असुइअई, P जावेहं. 2) J परिमलिआ. 4) Pom. जेण णिव्वेओ etc. to णिण्णेहा ।। चिंतेसु. 6) P इंदियस्सीइं. 7) J विरया for विवसा. 8) P सुरहामय, J वेगसरीरगेण्हए, J तु for उ. 10) P बहुकरिसरसायदिन्नरस. 11) P वज्झति, P महागओ. 12) P दुग्गती. 14) P वासोयपत्त. 15) P दसदिसि. 16) P जहोइण्णा. 19) P लोलुमणो. 20) P घेप्पइ सयणो, J पडिसस्स P बडियस्स. 21) P वि for य.
SR No.022709
Book TitleKuvalaymala Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraguptasuri
PublisherAnekant Prakashan Jain Religious Trust
Publication Year2011
Total Pages246
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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