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________________ ९६ वण-करि-करेण कत्थइ भग्गो णरणाह रुक्खत्ते || (८०) गंतूणमचाएंतो लोलंतो कढिण-धरणिवट्ठम्मि । कत्थइ टस त्ति खइओ दुइंदियत्तम्मि पक्खीहिं ।। खर-णर-करह-पसूहि य रह-सयड - तुरंग कढिण- पाएहिं । 5 दिट्ठि-विहूणो तेइंदियएसु बहुसो णिसुद्धो हं ।। उरग-भुयंगम-कुक्कुड-सिहि - सउण-सएहिँ असण- कज्जम्मि । 7 विलवंतो च्चिय खइओ सहसाहुत्तो भय - विसण्णो ।। खर-दिणयर-कर-संताव-सोसिए तणुय- विरय-जंबाले । 9 मच्छत्तणम्मि बहुसो कायल - सउहिँ खइओ हं || बहुसो गलेण विद्धो जाल-परद्धो तरंग-आइद्धो । जलयर-सएहिँ खद्धो बद्धो पावेण कम्मेणं ॥ मयर-खर-णहर - दाविय - तिक्खग्ग- कराल - दंत - करवत्ते । कत्थइ विसमावत्ते पत्तो यि - कम्म- संतत्तो || कत्थइ अहि त्ति दठ्ठे मारे-मारेह पाव-पुरिसेहिं । खर- पत्थर-पहरेहिं णिहओ अकयावराहो वि । कत्थइ सिहीहिँ खइओ कत्थइ णउलेहिँ खंड-खंड-कओ । 17 ओसहि -गद्धाइद्धो बद्धो मंतेहिँ उरयते ।। 1 3 11 13 15 णिडुर-वग्घ-चवेडा-फुड- णहर - विदारिओ मओ रणे । 19 महिसत्तणम्मि कत्थइ गुरु - दूसह - भार - दुक्खत्तो ।। हरि-खर-णहर-विदारिय-कुंभत्थल-संगलंत-रुहिरोहो । 21 पडिओ वणम्मि कत्थइ पक्खि-वलुत्तो सउणएहिं ।। गुरु-गहिर-पंक-खुत्तो सरवर-मज्झम्मि दिणयर-परद्धो । (८०) 1) P करकरेण. 2) P ० चायंतो. 3) P वसत्थि for टस त्ति, J विइंदियं तम्मि. 4) P रहसड. 6) Pom. भुयंगम. 7) P विवलाइत्तो खइओ. 8) J विअर for विरय, P जंबोले. 9) P काइल. 12 ) P दारिय for दाविय. 17 ) P ओसहिं गंधाइट्टो, P उयरत्ते. 18) P वियारिओ, P सार for भार. 20) J कर for खर, P वियारिय. 21 ) P पत्थिवलुत्तो. 22) P गुरुपग.
SR No.022707
Book TitleKuvalaymala Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraguptasuri
PublisherAnekant Prakashan Jain Religious Trust
Publication Year2011
Total Pages244
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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