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________________ (७९) 1 अवरे भणंति अवरा जं होही तं सहीहामो ।। संसार-णगर-कयवर-सूयर-सरिसाण णत्थि उव्वेओ । 3 किं कोइ डोंब-डिंभो पडहय-सदस्स उत्तसइ ।। अणुदियहम्मि सुणेता अवरे गेण्हंति णो भयं धिट्ठा । 5 भेरी-कुलीय पारावय व्व भेरीएँ सद्देणं ।। णरय-गइ-णाम-कम्मं अवरे बंधति णेय जाणंति । 7 ता ओदिसंति मूढा अवरे जस्सोवरि रोसो ।।। अवरे चिंतेंति इमं कल्लं विरमामि अज विरमामि । 9 ताव मरति अउण्णा रहिया ववसाय-सारेण ।। दे विरम विरम विरमसु पावारंभाओ दोग्गइ-पहाओ । 11 इय विलवंताणं चिय साहूणं जंति णरयम्मि ।। ता णरणाह सयण्णो जो वा जाणाइ पुण्ण-पावाई । 13 जो जाणइ सुंदर-मंगुलाइँ भावेइ सो एयं ।। णरए णेरइयाण ज दुक्ख होइ पच्चमाणाण । 15 अरहा त साहेज व कत्तो अम्हारिसा मुक्खा ।। (७९) कह-कह वि आउयंते उव्वट्टो किंचि-मेत्त-कम्म-मलो । 17 पइसइ तिरिक्ख-जोणिं मणुओ वा जो इमं कुणइ ।। तव-भंग-सील-भंग काम-रई-राग-लोह-कूडत्तं । 19 कूड-तुल-कूड-माणं कूडं टंकं च जो कुणइ ।। पसु-महिस-दास-पेसा जे य किलिस्संति दुक्ख-तण्हत्ता । 21 पर-लोय-णिरावेक्खा लोयं खाएंति दुस्सीला ।। एए सव्वे मरिउं अकय-तवा जंति तिरिय-जोणिम्मि । 1) P होहि त्ति तं. 2) P नयर, P repeats कयवर, P उव्वेवो. 3) P के वि for कोइ, P पडिहयसद्दसउब्वियइ. 4) J दट्ठा for धिट्ठा. 5) P कुलाय पारावइ व्व भीरीय सद्धेण. 6) J गई. 7) P ता for ताओ, J अइसंति P उद्दिसंतु, J जस्सोवरी P जस्सावरिं. 8) P चिंतंति इमो, P थिरमामि सकयसंकेया ।. 9) P ववसारेयसारेण. 10) P om. विरम. 12) J जे वा जाणंति, P जो जीणइ. 13) P सो एवं. 14) P © for जं. 15) P मुक्का. 16) P कह व आउणंते. 17) P पइसति, P जोणी, J जं for जो, P कुणए. 18) P कामरती, P कुडतं. 20) J जे किलिस्संति P जोइ किलेसेइ. 21) P निरापेक्खा, P खायंति.
SR No.022707
Book TitleKuvalaymala Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraguptasuri
PublisherAnekant Prakashan Jain Religious Trust
Publication Year2011
Total Pages244
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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