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________________ (६०) । अण्णेक्काए भणियं ‘सहि, णज्जइ दित्तीए सूरो' त्ति । अण्णाए भणियं । सहि सच्चं चिय सूरो चंडो जइ होज तविय-भुवणयलो । 3 एसो उण जण-मण-णयण-दिहियरो अमयमइओ व्व ।।' __ अण्णाए, भणियं ‘हला हला, णज्जइ मुद्धत्तणेण सामिकुमारो' । अण्णाए 5 भणियं । 'सच्चं होज्ज कुमारो जइ ता बहु-खंड-संघडिय-देहो । 7 रूवाणुरूव-रूवो एसो उण कक्कसो सहइ ।।' इय किंचि-मेत्त-घडिओ देवाण वि कह वि जाव मुद्धाहिं । 9 विहडिज्जइ ता बहु-सिक्खियाहिँ जुवईहिँ सिरिणिलओ ।।' (६०) ताव य कुमार-कुवलयचंद-रूव-जोव्वण-विलास-लायण्ण-हय11 हिययाओ किं किं काउमाढत्ताओ णायर-तरुण-जुवाणीओ त्ति । एक्का वायइ वीणं अवरा वव्वीसयं मणं छिवइ । 13 अण्णा गायइ महुरं अण्णा गाहुल्लियं पढइ ।। देइ मुरवम्मि पहरं अण्णा उण तिसरियं छिवइ । 15 वंस वायइ अण्णा छिवइ मउंद पुणो तहा अण्णा ।। उच्चं भासइ अण्णा सद्दावइ सहियणं रुणरुणेइ । 17 हा ह त्ति हसइ अण्णा कोइल-रडिय कुणइ अण्णा ।। जइ णाम कह वि एसो सदं सोऊण कुवलय-दलच्छो । 19 सहसा विलोल-पम्हल-ललियाइँ णिएइ अच्छीणि ।। तओ कुमार कुवलयचंदस्स वि 21 जत्तो वियरइ दिट्ठी मंथर-धवला मियंक-लेह व्व । अव्वो वियसंति तहिं जुवईयण-णयण-कुमुयाई ।। 1) P om. सहि, णज्जइ दित्तीए etc. to सामिकुमारो । अण्णाए भणियं ।. 3) J दीहियरो. 8) P om. वि after देवाणं. 10) P कुवलयचंदो, P om. हय. 11) P om. one किं, P जुवई इत्ति. 12) J वायई, J अण्णा for अवरा. 14) P मुरयंमि, P अण्णाउ तिसरियं, P छिवइ मुद्धा ।. 15) P om. तहा. 16) P सद्दावेइ, P रुणरुणेति. 17) J हा, हंति. 19) P निमेइ. 21) P रेह for लेह. 22) J जुवइयण.
SR No.022707
Book TitleKuvalaymala Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraguptasuri
PublisherAnekant Prakashan Jain Religious Trust
Publication Year2011
Total Pages244
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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