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________________ २२० (१६५) 1 जिण-वयणामय-भरियं धम्मायरियं ण पावेंति ।। अह सो वि कह वि लद्धो साहइ धम्मं जिणेहिँ पण्णत्तं । 3 णाणावरणुदएणं कम्मेण ण ओग्गहं कुणइ ।। अह कह वि गेण्हइ च्चिय दंसण-मोहेण णवरि कम्मेण । 5 कु-समय-मोहिय-चित्तो ण चेय सद्धं तहिं कुणइ ।। अह कुणइ कह वि सद्धं जाणतो चेय अच्छए जीवो । 7 ण कुणइ संजम-जोयं वीरिय-लद्धीएँ जुत्तो वि ।। ___ इय हो देवाणुपिया दुलहा सव्वे वि एत्थ लोयम्मि । 9 तेलोक्क-पायड-जसो जिणधम्मो दुल्लहो तेण ।। भणियं च भगवया सुधम्मसामिणा ।। 11 माणुस्स-खेत्त-जाई-कुल-रूवारोग्गमाउगं बुद्धी । समणोग्गह-सद्धा संजमो य लोगम्मि दुलहाई ।। 13 एक्के ण-यणंत च्चिय जिणवर-मग्गं ण चेय पावंति । अवरे लद्धे वि पुणो संदेह णवर चिंतेति ।। 15 अण्णाण होइ संका ण-याणिमो किं हवेज मह धम्मो । अवरे भणंति मूढा सव्वो धम्मो समो चेय ।। 17 अवरे बुद्धि-विहूणा रत्ता सत्ता कुतित्थ-तित्थेसुं । के वि पसंसंति पुणो चरग-परिव्वाय-दिक्खाओ ।। 19 अवरे जाणति च्चिय धम्माहम्माण जं फलं लोए । तह वि य करेंति पावं पुव्वज्जिय-कम्म-दोसेण ।। 21 अवरे सामण्णम्मि वि वटुंता राग-दोस-वस-मूढा । पेसुण्ण-णियडि-कोवेहिँ भीम-रूवेहिँ घेप्पंति ।। 2) P कह कह for अह सो वि. 4) P कह for अह, P गेहिए for गेण्हइ. 5) P सद्धिं. 8) J अह for इय, J दुलहं सव्वंमि एत्थ. 11) P०रोग्गमाउयं. 12) J लोयंमि. 13) Jणयणंति, P च्चियं, P चेव, J पावेंति. 14) P चिंतेति. 17) P कुतित्थेसु. 18) P चरय for चरग. 19) P धमाधमाण. 20) P पुवक्कियकंम. 22) J रायदोस.
SR No.022707
Book TitleKuvalaymala Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraguptasuri
PublisherAnekant Prakashan Jain Religious Trust
Publication Year2011
Total Pages244
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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