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प्राकृत भारती पुष्प 326
प्राकृतभाषा में विद्वरत्न दाक्षिण्य चिह्नाङ्कित श्री उद्योतन सूरिजी द्वारा प्रणीत
'कुवलयमाला कहा' का श्रीयुत परमानन्द सूरि जी के शिष्य श्रीरत्नप्रभ सूरि जी द्वारा
संस्कृत में अनूदित
कुवलयमाला-कथा
(हिन्दी रूपान्तरण)
रूपान्तरकार एवं सम्पादक साहित्य वाचस्पति महोपाध्याय विनयसागर
तथा
म०म० राष्ट्रपति-सम्मानित आचार्य डॉ. नारायणशास्त्री काङ्कर विद्यालङ्कार,डी.लिट्.
प्रकाशक
प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर एम. एस. पी. एस. जी. चेरीटेबल ट्रस्ट, जयपुर