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१. राक्षस, वानरादि को विधाधर मान उनकी वंशावली देना २. बालि का रावण से साथ संघर्ष
३. रावण की भव्य विजयों का वर्णन
४. रावण का उदार चरित, रावण मंदिरों का उद्धारक
५. लक्ष्मण का विवाह सैकड़ों रानियों से
६. हनुमान के अनेक विवाहों का वर्णन ।
७. सीताहरण - खोज में लक्ष्मण द्वारा शंबूक का वध ।
८. सुग्रीव द्वारा राम को अपनी तरह कन्याएँ देना आदि । (क) विमलसूरि परंपरा की रामकथात्मक प्राकृत रचनाएँ
१. विमलसूरिकृत - पउमचरियं (प्रथम शताब्दी ई. से पूवीं २१० ई.)
२. शीलाचार्यकृत- चउपनमहापुरिस चरिय ( रामलक्ष्मण चरिय), ९वीं श. ई.
३. भद्रेश्वरकृत - कहाबली (रामायणम्), ११वीं श. ई.
४. भुवनतुंगसूरिकृत- सीयाचरिय तथा रामलक्ष्मण चरिय (ख) विमलसूरि परंपरा की रामकथात्मक 'अपभ्रंश' रचनाएँ
१. स्वयंभूदेवकृत - पउमचरिउ या रामायण पुराण (८वीं. श. ई.)
२. रइधूकृत - "पद्मपुराण अथवा बलभद्रपुराण ' (१५वींश. ई.) '
(ग) विमलसूरि परंपरा की रामकथात्मक 'संस्कृत रचनाएँ'
१. जिनदासकृत 'रामायण' (१५वीं ई. शती)
२. हेमचंद्रकृत योगशास्त्र की टीका के अंतर्गत सीतास्वयंवर रावण-कथानकम्
३. पद्मसेन विजयगणिकृत रामचरित (१६वीं ई. शती)
४. सोमदेवकृत रामचरित (१६वीं शती ई.)
५. सोमप्रभकृत लघुत्रिषष्टिशलाका पुरुष चरित्र
६. मेघविजय मणिवर कृत-लघु त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित (१७वी श. ई.) ७. हरिषेणकृतं कथाकोष - प्रकरणान्तर्गत रामायणकथानकम् व सीताकथानकम् ८. आलोच्य कृति हेमचंद्रकृत त्रिषष्टि. - चरित (जैन रामायण) १२वीं शती ई. ९. रामचंद्र मुमुक्षुकृत पुण्याश्रवकथा कोष व लवकुशकथा (१९०७ ई.) १०. हरीभद्रकृत धूर्तायानम् (८वीं शती ई.)
११. अमितगतिकृत धर्मपरीक्षा (११वीं शती ई.)
१२. शत्रुंजय महात्म्य (१२वीं शती ई.)
उपर्युक्त ग्रंथों के अलावा भी "जिनरत्न कोष" में विमलसूरि की परंपरा के कई रामकथात्मक ग्रंथों का उल्लेख आया हुआ है।
गुणभद्र की परंपरा : जैनाचार्य जिनसेन ने आदिपुराण की रचना की। परंतु इस कृति के पूर्ण होने से पूर्व ही जिनसेनाचार्य चल बसे। इस कार्य को पूरा किया कर्नाटक निवासी जिन्ना के शिष्य गुणभद्र ने। इन्होंने आदिपुराण को पूरा कर उतरपुराण की रचना की । गुणभद्र परंपरा की मुख्य
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