________________
६/तीर्थंकर चरित्र
अव्यवस्था से व्यवस्था का जन्म होता है। अराजकता से पीड़ित यौगलिक एकत्रित हुए। उन्होंने मिलकर छोटे-छोटे कुलों के रूप में अपनी व्यवस्था बनाई और कुलों की व्यवस्था को करने वाले 'कुलकर' कहकर पुकारे जाने लगे। कुलकर की हर बात को मानने के लिए वे संकल्पबद्ध बने।
मुख्य कुलकरों के नाम इस प्रकार हैं१. विमलवाहन २. चक्षुष्मान ३. यशस्वी
४. अभिचन्द्र ५. प्रसेनजित ६. मरुदेव ७. नाभि
कुलकरों की संख्या के बारे में ग्रंथकारों के बीच मतभेद हैं | स्थानांग, समवायांग एवं भगवती सूत्र में सात कुलकरों के नाम आए हैं। जंबू द्वीप प्रज्ञप्ति में पन्द्रह कुलकरों का उल्लेख है। ___ तीसरे अर का जब पल्योपम का आठवां भाग शेष रहा, तब सात कुलकर उत्पन्न हुए। प्रथम कुलकर विमलवाहन हुए। आवश्यक नियुक्ति में वर्णन आता है कि वन में एक श्वेत हाथी ने एक मानव युगल को देखा। देखते ही पूर्व जन्म के स्नेह से उसने उस युगल को अपनी पीठ पर बैठा लिया। उसे इस तरह गजारूढ़ देख यौगलिकों ने सोचा-'यह मनुष्य हमसे अधिक शक्तिशाली है।' उज्ज्वल वाहन वाला होने के कारण उसे विमलवाहन कहने लगे। दंड व्यवस्था
कल्पवृक्षों की कमी से जो शांति भंग हो गई थी, अव्यवस्था हो गई थी उसे सुव्यवस्थित करने के लिए यौगलिकों ने विमलवाहन को अपना नेता बना लिया। यही प्रथम कुलकर के रूप में प्रतिष्ठित हुए। उन्होंने सबके लिए एक निश्चित संविधान बनाया और उसका उल्लंघन करने वालों के लिए दंड देने की घोषणा की। इसके लिए विमलवाहन ने 'हाकार' दंड की स्थापना की। जब कोई यौगलिक मान्य मर्यादा का अतिक्रमण करता तो उसे इतना मात्र कहा जाता –'हा! तूने यह काम किया है' बस इतना कहना ही उनके लिए कठोर दंड होता था। वह इससे अपने आपको लांछित मानता था। इस दंड का काफी समय तक असर रहा। __पहले व दूसरे कुलकर तक यह 'हाकार' दंड विधि प्रभावी रही। जब अपराधी को 'हा' कहने से काम नहीं चला, तब कुछ उच्च स्वर में कहा जाता 'मा' अर्थात् मत करो और इससे लोग अपराध करना छोड़ देते । यह 'माकार' दंड व्यवस्था तीसरे व चौथे कुलकर तक चली। हाकार और माकार के निष्प्रभावी होने से धिक्कार' दंड व्यवस्था का आविर्भाव हुआ। यह व्यवस्था पांचवें से सातवें कुलकर तक चलती रही।