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________________ भगवान् श्री मल्लिनाथ / १२१ महाराज कुम्भ छहों राजाओं को ससैन्य मिथिला के समीप आया सुनकर चिन्तित हो उठे । एक साथ छहों से युद्ध करने में वे स्वयं को असमर्थ पा रहे थे। तभी राजकुमारी मल्लि चरण वन्दन के लिए पिता के पास उपस्थित हुई । उसने चिन्तित पिता से निवेदन किया- बेकार युद्ध की क्यों सोच रहे हैं ? मैं इस समस्या को हल कर लूंगी, आप निश्चित रहें । राजा से आज्ञा पाकर राजकुमारी मल्लि ने छहों राजाओं के पास अलग-अलग दूत भेजे और अशोक वाटिका में मिलने का प्रस्ताव रखा। सभी राजाओं ने मिलना स्वीकार कर लिया । सब यही जानते थे कि मुझे ही बुलाया गया है। निश्चित समय पर छहों राजाओं ने अलग-अलग द्वारों से अलग-अलग प्रकोष्ठों में प्रवेश किया । प्रवेश करने वाले छह राजाओं के नाम थे I प्रतिबुद्ध चन्द्रछाग रुक्मी शंख अदीनशत्रु १. साकेतपुरी के राजा २. चम्पा के राजा WA CE ३. कुणाला के राजा ४. वाराणसी के राजा ५. हस्तिनापुर के राजा
SR No.022697
Book TitleTirthankar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSumermal Muni
PublisherSumermal Muni
Publication Year1995
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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