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________________ नयनसुख (1592 ई.) इन्होंने अपना परिचय इन शब्दों में दिया है 'केसराज सुत नयनसुख, श्रावक कुलहि निवास ।' (5, ग्रन्थारम्भ) इससे इनका केसराज का पुत्र होना और श्रावक कुल में जन्म लेना प्रकट होता है । कुछ हस्तप्रतियों में 'केसराज' के स्थान पर 'केशवराज' नाम मिलता है । वेंकटेश्वर प्रेस बम्बई की मुद्रित प्रति में 'श्रावककुलहि निवास' के स्थान पर 'भाषा कियो विलास' ऐसा उल्लेख है । परन्तु मेरी देखी हुई सब हस्तलिखित प्रतियों में प्रथमपाठ ही लिखा मिलता है । अत: इनका जैन श्रावक होना प्रमाणित होता है । इसके अतिरिक्त विशेष परिचय ज्ञात नहीं होता। इनका एकमात्र वैद्यक ग्रन्थ 'वैद्यमनोत्सव' मिलता है। यह हिन्दी में छन्दोबद्ध लघुकृति है । इसकी रचना मुगल-सम्राट अकबर के शासनकाल में 'सीहनंद' (सीनंद) या सिंहचंद नगर में संवत् 1649 (1592 ई.) चैत्र शुक्ला-2 मुरुवार को पुष्य नक्षत्र में पूर्ण हुई थी "केसराज सुत नयनसुख कीयऊ ग्रन्थ अमृतकंद । सुभनगर सीहनंद मई, अकबर साह नरिंद ।। 307॥" अंक 9 वेद 4 रस 6 मेदनी । (1649) शुक्ल पक्ष चैत्रमास । तिथि द्वितीया भृगुवार फुनि, पुष्यचंद्र सुप्रकास ।। 308॥ यह ग्रन्थ किसी पूर्वनिर्मित ग्रन्थ का अनुवाद मात्र नहीं है । अपितु स्वतंत्र रूप से हिन्दी में लिखा गया है । मौलिक कृति होने से इसका बहुत महत्व है। मंगलाचरण में गणेश और अलख के प्रति नमस्कार किया गया है । लेखक ने अनेक वैद्यक ग्रन्थों का परिशीलन किया था। अल्प बुद्धिवालों के लिए ओषध और रोगनिदान पर यह सुगमचिकित्सा रूप संक्षिप्त ग्रन्थ लिखा है । 'वद्यग्रन्थ सब मत्थिक रचिऊ सुभाषा आनि । अरथ दिखा प्रगट करि, औषध रोगनिदान ।।' (3, ग्रन्थारंभ) ग्रंथ का नामकरण 'वैद्यमनोत्सव' सार्थक है 'वैद्यमनोत्सव नामधरि, देखी ग्रन्थ सुप्रकास ।' (5, ग्रंथारंभ) इस छोटे से ग्रन्थ में 7 समुद्देश और 321 पद्य हैं। संक्षेप में नाड़ी परीक्षा, वातपित्त-कफ के निदान-लक्षण-उपचार-साध्यासाध्यता के लक्षण बताकर रोगानुसार ज्वरादिरोगों के निदान और चिकित्सा का वर्णन है । इसमें विजया, अफीम, धतूरा और जस्ता का उपयोग मिलता है। इसकी अनेक हस्तप्रतियां मिलती हैं। कुछ में 332 गाथाएं हैं। एक प्रति 167 1 यह प्रकाशित है । वेंकटेश्वर प्रेस, बम्बई से सं. 1961 में छपा है। [ 109 ]
SR No.022687
Book TitleJain Aayurved Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajendraprakash Bhatnagar
PublisherSurya Prakashan Samsthan
Publication Year1984
Total Pages196
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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