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________________ भोजन करना चाहिए। साधन-काल में भी इनका पालन करे। रसादि तपःसाध्य हैं, और तपोविधियों से ये सिद्ध होते हैं । तपोहीन साधक फिर भाग्य को दोष देते हैं। (श्लोक 358-362)। कंकालययोगी के उक्त 252 प्रकार के योग सिद्ध थे। यहां कंकालययोगी की गुटिकाओं में से केवल एक 'ज्ञान फला गुटिका' का निर्माण प्रकार बताया है, इसके धारण करने से त्रिकाल ज्ञान उत्पन्न होता है - 'वातॊक्ता गुटिकास्तेन श्रीकंकालययोगिना । गुटिं ज्ञानफलां वक्ष्ये द्विपंचाशत्सुवल्लिका ।। 36 3।।' फल देखें- अहर्निशं मुखे धार्या मासमेकं निरंतरम् । मासे वीते च सा पृष्टा ज्ञानं वक्ति त्रिकालजम् ।।376।। इस वटी का प्रभाव अत्यंत आश्चर्यकारक है-'गुटिकायाः प्रभावोऽयमतीवाश्चर्यकारकः ।' इस ग्रन्थ में कुल 380 पद्य हैं । यह ग्रंथ आचार्य यादवजी से हस्तलिखित प्राप्त कर पं. रामकृष्ण शर्माकृत संस्कृत टीका सहित 'काशीसंस्कृत सीरिज' में चौखम्बा, बनारस से सं. 1986 में प्रकाशत हो चुका है। यशःकीति मुनि (13वीं शती) । यश:कीर्ति मुनि के संबंध में काल, स्थान, ग्रन्थों आदि का विशेष परिचय नहीं मिलता। इनके द्वारा विरचित एक वैद्यक ग्रन्थ 'जगत्सुन्दरीप्रयोगमणिमाला' की प्राचीन हस्तलिखित प्रति ‘योनिप्राभृत' के साथ मिली हुई भांडारकर ओ. रि. इन्स्टीट्यूट पूना मे विद्यमान है। इस प्रति का लिपिकालू वि. सं. 1582 (1525 ई.) है, अत: इसका रचनाकाल निश्चित ही पूर्व का होना सिद्ध होता है । 'जगत्सुदरीप्रयोगमणिमाला' ग्रन्थ प्राकृत भाषा में पद्यबद्ध है। मध्य में कहीं-कहीं संस्कृत गद्य का और कुछ स्थानों पर प्राचीन अपभ्रंश या हिन्दी का प्रयोग हुआ है। ग्रन्थारम्भ में रचनाकार यशःकीर्ति का नामोल्लेख हुआ है 'जस इत्तिणाममुणिणा भणियं णाऊण कलिसरूवं च । वाहिगाहिउ वि हु भब्बो जह मिच्छतेण संगिलइ ।। 13।।' इस ग्रन्थ में 43 अधिकार हैं और लगभग 1500 गाथाएं हैं। परिभाषाप्रकरण, ज्वराधिकार, प्रमेह, मूत्रकृच्छ्र, अतिसार, ग्रहणी, पाण्डु रक्तपित्त आदि रोगों की चिकित्सा का वर्णन है । अंत में 15 यंत्र दिए हैं-1 विद्याधरवापीयंत्र, 2 विद्याधरीयंत्र, 3 वायुयंत्र, 4 गंगायंत्र, 5 एरावणयंत्र, 6 भेमंडयंत्र, 7 राजाभ्युदययंत्र, 8 गतप्रत्यागतयंत्र, 9 बाणगंगायंत्र, 10 जलदुर्गभयानकयंत्र, 1। उरयागसे पक्खि. भ महायंत्र, 12 हंसश्रवायंत्र, 13 विद्याधरीनृत्ययंत्र, 14 मेघनादभ्रमणवर्तयंत्र, 15 पाण्डवामलीयंत्र। [ 102 ]
SR No.022687
Book TitleJain Aayurved Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajendraprakash Bhatnagar
PublisherSurya Prakashan Samsthan
Publication Year1984
Total Pages196
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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