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________________ प्राचीन जैन इतिहास। ५८ कई वर्षों बाद पिता पुत्रका मिलाप हुआ, दोनोंको बड़ा आनंद हुमा। अभयकुमारने नंदिग्रामके सब ब्राह्मणोंका अपराध क्षमा करवा दिया । (१३) सिंधुदेशकी विशालानगरीके राजा चेटककी सात कन्याएं थीं। उन सबमें चेलिनी और ज्येष्ठा बड़ी सुन्दरी थी। एक समय एक चित्रकारके द्वारा उनका चित्रपट देखकर राजा श्रेणिक इनपर मोहित होगए । उन्होंने गजा चेटकसे उन दोनों कन्याओंकी याचना की परन्तु उन्होंने राजा श्रेणिक के साथ अपनी कन्याओंका विवाह करने से इन्कार कर दिया । ____ यह बात अभयकुमारको मालूम हुई। वे राजा श्रेणिकका चित्र लेकर साहूकारके वेषमें विशाला पहुंचे। किसी उपायसे उन्होंने वह चित्रपट दोनों राजकुमारियोंको दिखलाया। वे उन्हें देखकर मुग्ध होगई, तब अभयकुमारने उन्हें सुरङ्गके द्वारा राजगृह चलने को कहा। वे दोनों तैयार होगई। चेलिनी बहुत चालाक थी, उसे स्वयं तो जाना पसंद था पर वह ज्येष्ठाको न ले जाना चाहती थी। इसलिए थोडी दूर जानेपर उसने ज्येष्ठासे कहा कि मैं अपने गहने महल में छोड़ भाई हूं, तू जाकर उन्हें ले मा। वह मांखोंकी ओट हुई होगी कि चेलनी वहां से रवाना होकर अभयकुमारके साथ राजगृह भागई। उसका श्रेणिकके साथ ब्याह हुआ। वह उनकी प्रधान रानी हुई। (१४) मगधदेशमें सुभद्रदत्त सेठ रहता था, उसकी दो स्त्रियां थीं। बड़ीका नाम वसुदत्ता और छोटीका नाम वसुमित्रा था। वसुमित्राके एक बालक था। दोनोंमें परस्पर बड़ा प्रेम था। कुछ
SR No.022685
Book TitlePrachin Jain Itihas Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurajmal Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1939
Total Pages144
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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