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________________ दूसरा भाग। लिये भेना परंतु रावणने उन्हें मार भगाया तब वे स्वयं कई राना मिल कर रावणपर चढ़ कर आये। यह देख उन कन्याओंने रावणसे छिप जानेके लिये कहा। तब रावणने कहा तुम मेरा बल नहीं जानती । मैं इन सबको मार भगाऊँगा । यह कह विमान पर चढ़ और आकाश मार्गमें युद्ध किया और मुख्य २ राजाओंको नागपाशमें बांध लिया । तब उन कन्याओंने रावणसे प्रार्थना कर अपने गुरुजनोंको छुड़ाया। उन्होंने भी रावणको बड़ा बलवान् योद्धा समझ अपनी २ कन्याओंके साथ रावणका विवाह कर दिया । रावण उन छः हजार स्त्रियोंके साथ स्वयंप्रभनगर आया, वहां उसका बहुत सत्कार हुआ। (१४) कुम्भकर्णका विवाह कुम्भपुरके राजा मन्दोदरकी पुत्री तड़ित्मालासे हुआ। (१५) और विभीषणका ज्योतिप्रभ नगरके राजा विशुद्धकमलकी पुत्री राजी व सरसीसे हुआ। जैन पुराणकारोंका कहना है कि कुम्भकर्ण और विभीषण बड़े धर्मात्मा और सदाचारी थे। तथा कुम्भकर्णको बहुत ही अल्प निद्रा थी। (१६) कुम्भकर्ण वैश्रवणके राज्यमें उत्पात मचाने लगा। तब वैश्रवणने सुमालीके पास दूत भेज कर कहलाया कि तुम अपने पौत्रौंको अन्यायसे रोको नहीं तो तुम्हारे लिये ठीक नहीं होगा। दुतके इस कथन पर रावण बड़ा क्रोधित हुआ और उसे मारनेको तैयार हुआ परन्तु विभीषणके मना करने पर उसने दुतको न मार सभासे बाहर निकाल दिया। वैश्रवणसे जब इतने यह
SR No.022684
Book TitlePrachin Jain Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurajmal Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1923
Total Pages182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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