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प्राचीन जैन इतिहास। १५५ तिमें न पहुंचने देनेके लिये वह रामके पास कोटिशिला पर आया
और सीताका रूप धारण कर तथा अन्य विधाघरोंकी स्त्रियां मायामय बनाकर रामचंद्रसे प्रेमके लिये प्रार्थना करने लगा। परन्तु राम अपने ध्यानसे चलायमान नहीं हुए। अतएव चार घातिया कर्मोका नाश हुआ और माघ सुदी १२ की पिछली रात्रिमें आपको कैवल्य ज्ञान प्राप्त हुआ। देवोंने पूजन की, गन्ध कुटीकी रचना की और विहारकी प्रार्थना की ! विहार हुआ । स्थान २ पर उपदेश दिया गया । अंतमें निर्वाणको पधारे । रामचंद्रकी आयु १७००० वर्षकी थी। शरीर १६ धनुष ऊंचा था। आपने ५० वर्ष तप कर कर्मों का नाश किया और मोक्ष प्राप्त की।
(२) अपने पिताको लक्ष्मणके शोकमें विह्वल होते देख अनङ्ग-लवणको बहुत वैराग्य हुआ । और दीक्षा धारण कर दोनों कुमार मोक्ष पधारे।
और
कुमाङ्ग लवणको बहतको लक्ष्मणके
पाठ ३९.
रामचन्द्र-लक्ष्मण । [ गत पाठोंमें राम, लक्ष्मण तथा रावणका जो वर्णन किया गया है, वह पद्मपुराणके आधारसे किया गया है । अन्य पाठोंमें तो जहां जहां पद्मपुराण और उत्तर पुराणके कथनमें हमने अंतर पाया वहां वहां नोट आदिमें उसका उल्लेख कर दिया है; पर राम, लक्ष्मणादिके वर्णनमें दोनों शास्त्रोंमें इतना भारी अंतर है कि उसे स्थानके स्थान पर बतला देना एक प्रकारसे कठिन है । अतः दोनों शास्त्रोंके वर्णनको भिन्न भिन्न दो स्वतंत्र पाठोंके द्वारा देना