SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 17
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ - अर्ध्याञ्जलि :जिन्होंने' भवरूपी कूपसे संयमरूपी रज्जु द्वारा बाहर निकाला । और प्रव्रज्यादिन से लेकर बारह साल तक निजी निश्रा में रख कर ग्रहण शिक्षा और आसेवन शिक्षा के साथ साथ ही संस्कृत-प्राकृतव्याकरण न्याय दर्शन तर्क काव्य कोश छन्द अलङ्कार प्रकरण आगम छेदादि विविधविषयक शास्त्रों के परिशीलन द्वारा सुधारस पीलाया। जिन्होंकी सतत सत्प्रेरणा और कृपादृष्टिसे ही महागंभीर और अतिभगीरथ ऐसे कर्मसाहित्य के नव निर्माण में और सम्पादन में तथा प्राचीन कर्मसाहित्य के सम्पादन आदि में आज लगातार २७ साल तक प्रयत्नशील रहा हूं। उन कर्मसाहित्य के सूत्रधार सिद्धान्तमहोदधि सच्चारित्र. चूडामणि परमशासनप्रभावक सुविशालगच्छाधिपति परमाराध्यपाद स्वर्गीय श्राचार्य भगवंतश्रीमद् विजयप्रेमसूरीश्वरजी महाराजा __ को परम पवित्र स्मृति में भवदीय कृपैककाक्षी मुनिवीरशेखरविजय गणी
SR No.022675
Book TitleBhavsthiti Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVirshekharvijay
PublisherBharatiya Prachyatattva Prakashan Samiti
Publication Year1987
Total Pages68
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy