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________________ शूरसेन जनपद में जैन धर्म का विकास शिवपुरसन गाँव गोवर्धन के निकट शिवपुरसन गाँव स्थित है। यहाँ से जैन तीर्थंकर का मस्तक प्राप्त हुआ है। मस्तक पर धुंघराले बाल हैं। यह गुप्ताकलीन मूर्ति है। यह मस्तक 26.5 सेंमी. ऊँचा है तथा वर्तमान में मथुरा संग्रहालय में सुरक्षित है। शौरीपुर यमुना के किनारे आगरा से दक्षिण-पूर्व की ओर बाह तहसील से 8 किमी. दूर स्थित है। बटेश्वर से इसकी दूरी 5 किमी. है। शिकोहाबाद से 25 किमी. दूर है। आगरा से बाह के लिए बस से जा सकते हैं। बटेश्वर से शौरीपुर का मार्ग कच्चा है, किन्तु तांगा, कार आदि से जा सकते हैं। शौरीपुर जैन धर्म, इतिहास और कला की दृष्टि से भी यह स्थान महत्वपूर्ण हैं। जैन धर्म के बाइसवें तीर्थंकर भगवान नेमिनाथ के गर्भ और जन्म कल्याणक शौरीपुर में हुए थे। __हरिवंश पुराण में उल्लिखित है कि भगवान नेमिनाथ के स्वर्गावतार से छह माह तक इन्द्र की आज्ञा से शौरीपुर के राजा समुद्रविजय के घर देवों ने रत्नों की वर्षा जारी रखी। __ जैन ग्रन्थ में भी भगवान नेमिनाथ के जन्म के विषय में महत्वपूर्ण तथ्य उल्लिखित है कि नेमिनाथ जिनेन्द्र शौरीपुर में माता शिवदेवी और पिता समुद्रविजय से बैशाख शुक्ला 13 चित्रानक्षत्र में उत्पन्न हुए। उपर्युक्त उल्लेखों से स्पष्ट है कि कृष्ण के चचेरे भाई जैन धर्म के बाइसवें तीर्थंकर भगवान नेमिनाथ शौरीपुर नगर में उत्पन्न हुए। इस पावन अवसर पर इन्द्रों और देवों ने भगवान के गर्भ और जन्म कल्याणकों का महान उत्सव शौरीपुर में मनाया। नेमिनाथ के जन्म कल्याणकों के कारण यहाँ की भूमि अत्यन्त पवित्र मानी जाती है। जन्म कल्याणकों के अतिरिक्त यहाँ पर कई अन्य
SR No.022668
Book TitleShursen Janpad Me Jain Dharm Ka Vikas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSangita Sinh
PublisherResearch India Press
Publication Year2014
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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