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________________ शूरसेन जनपद में जैन धर्म का विकास मातामठ माता मठ होली दरवाजा मथुरा से वर्धमान की छोटी प्रतिमा प्राप्त हुई है। इस प्रतिमा में वर्धमान सिंहासन पर ध्यान मुद्रा में आसीन है। इस प्रतिमा की केवल टांगें और हाथ अवशिष्ट है। स्तम्भ पर स्थित धर्मचक्र की दो पुरुष और दो महिला उपासक पूजा कर रहे हैं। यह अभिलिखित मूर्ति है। लेख के अनुसार कोट्टियगण और बच्छालिक कुल के चोड ने ऋषिदास के साथ वर्धमान महावीर की प्रतिमा स्थापित की। वर्तमान में यह प्रतिमा का अवशिष्ट भाग मथुरा संग्रहालय में स्थित है। यह प्रतिमा कुषाण कालीन है। सोख सोंख 27'29 उत्तरी अक्षांश तथा 77'31 पूर्वी देशान्तर के मध्य स्थित है। मथुरा के दक्षिण-पश्चिम में 25'7 किमी. दूर है। गोवर्धन तक यह पक्की सड़क द्वारा जुड़ा हुआ है। पक्का मार्ग से ही यह राजस्थान से सम्बद्ध है। मथुरा पहुँचकरर बस द्वारा यहां पहुंचा जा सकता है। मंगलवार के दिन यहां पर बहुत बड़ा बाजार लगता है। सोंख एक प्राचीन एवं ऐतिहासिक स्थान है। इसके नामकरण के विषय में अनेक जनश्रुतियाँ प्रचलित हैं। एक जनश्रुति के अनुसार सोंख ग्राम संखापुर दैत्य के नाम पर पड़ा है। एक अन्य जनश्रुति के अनुसार प्राचीन काल में शौनिक मुनि यहाँ निवास करते थे। अतः शौनिक मुनि के नाम पर यह सोंख के नाम से विख्यात हुआ। ऐतिहासिक परम्परा के अनुसार इसकी स्थापना दिल्ली के शासक अनंगपाल ने की थी। सोंख से प्राप्त पुरातात्विक अवशेष इसकी प्राचीनता के ज्वलन्त प्रमाण हैं। वर्तमान समय में इसके आसपास के टीले इसकी प्राचीनता के मूक साक्षी हैं।
SR No.022668
Book TitleShursen Janpad Me Jain Dharm Ka Vikas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSangita Sinh
PublisherResearch India Press
Publication Year2014
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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