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________________ शूरसेन जनपद में जैन धर्म का विकास कला पड़ा। इस कस्बे में अनेक तालाब थे जैसे रत्नाकर कुण्ड, माभी कुण्ड, गोमती कुण्ड, माया कुण्ड, बिसाखा कुण्ड आदि । इनमें से वर्तमान समय में प्रथम तीन कुण्ड अस्तित्व में हैं । यह स्थान तालाब के कारण चारों ओर जल से भरा हुआ है और मनमोहक लगता है 1 54 कोसी कला एक महत्वपूर्ण व्यावसायिक स्थान के रूप में भी प्रसिद्ध है। यहाँ पर दशहरा और भरत मिलाप के दसवें और ग्यारहवें दिन बहुत बड़ा मेला गलता है। इस मेले में पशुओं का क्रय-विक्रय मुख्य रूप से किया जाता है 1 कोसी कला वैष्णव धर्म के साथ-साथ जैन धर्म का भी प्रमुख केन्द्र रहा है। यहाँ से पार्श्वनाथ की प्रस्तर प्रतिमा प्राप्त हुई है। इस प्रतिमा पर सात सर्पफणों का सुन्दर अंकन किया गया है । यह मूर्ति पद्मासन मुद्रा में ध्यानस्थ है। आकाश में दोनों ओर स्त्री-पुरुष चौरी एवं हार लेकर उड़ रहे हैं । नीचे चरण- -चौकी के मध्य में दोनों ओर सिंह का अंकन किया गया है तथा बीच में चक्र उत्कीर्ण है। यह मध्यकालीन कलाकृति है । इसकी लम्बाई 79 सेंमी. है। वर्तमान समय में यह प्रतिमा मथुरा संग्रहालय में संरक्षित है। कैन्टूमेन्ट मथुरा का प्रसिद्ध मोहल्ला कैन्टूमेन्ट है । यहाँ पर बस द्वारा पहुँचा जा सकता है। कैन्टूमेन्ट से बाइसवें तीर्थंकर नेमिनाथ की पद्मासनस्थ ध्यानमुद्रा में प्रतिमा प्राप्त हुई है। सिंहासन के नीचे दो छोटे-छोटे स्तम्भ और दोनों ओर एक-एक सिंह स्थित है । दोनों सिंह सिंहासन को उठाये हुए प्रतीत होते हैं। सिंहासन की चौकी के दोनों सिंहों के मध्य अलंकृत वस्त्र के समान लटक रहा है ।
SR No.022668
Book TitleShursen Janpad Me Jain Dharm Ka Vikas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSangita Sinh
PublisherResearch India Press
Publication Year2014
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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