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________________ अध्याय तृतीय शूरसेन जनपद में जैन धर्म के प्रमुख केन्द्र छठी शताब्दी ईसा पूर्व में सम्पूर्ण भारतवर्ष षोड्श महाजनपदों में विभक्त था जिनमें शूरसेन जनपद का नाम प्रमुख था जिसकी राजधानी मथुरा थी। धार्मिक एवं ऐतिहासिक दृष्टि से मथुरा नगरी का प्रारम्भ से ही प्रमुख स्थान रहा है। प्रारम्भ से ही मथुरा ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं राजनैतिक गतिविधियों का महत्वपूर्ण केन्द्र था।' वर्तमान समय में मथुरा आगरा खण्ड के अन्तर्गत उत्तरी पश्चिमी सीमा पर स्थित है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में यमुना नदी के तट पर 27°31' उत्तर अक्षांश तथा 77°14' पूर्वी देशान्तर के मध्य स्थित है। मथुरा का पूर्वी भाग पंजाब की सीमा से मिलता है। इसकी दक्षिणी सीमा पर आगरा, पश्चिमी सीमा पर स्वतन्त्र रूप से भरतपुर स्थित है। मथुरा की प्रमुख नदी यमुना है जिसे ऋग्वेद में भी उल्लिखित किया गया है। जिसे सूर्यतनया कहा गया है। मथुरा में वन एवं टीले अधिक हैं। ___ मथुरा पहुँचने के लिए रेलमार्ग एवं बस मार्ग की सुविधा उपलब्ध है। दिल्ली के पूर्व-दक्षिण की ओर जाने वाले पश्चिम तथा मध्य रेलवे की बड़ी लाइन मथुरा से होकर गुजरती है। ____ भारत के उत्तरी-पश्चिमी तथा दक्षिणी भागों से इन्हीं मार्गों द्वारा रेलों के द्वारा मथुरा पहुँचना सरल है। पूर्व तथा दक्षिण-पूर्व भारत की ओर से मथुरा पहुँचने के लिए दो मार्ग हैं- प्रथम आगरा से मथुरा जो पूर्व रेलवे लाइन के हाथरस जंक्शन से होकर पहुंचा जा सकता है।
SR No.022668
Book TitleShursen Janpad Me Jain Dharm Ka Vikas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSangita Sinh
PublisherResearch India Press
Publication Year2014
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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