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________________ अध्याय अष्टम् उपसंहार जैन धर्म की गणना भारत के प्राचीनतम धर्मों में होती है। जैन धर्म की लोकप्रियता का कारण नैतिकता पर आधारित इसकी सहजता है। जैन धर्म शूरसेन जनपद में महावीर काल से ही अस्तित्व में था। परन्तु महावीर काल का कोई पुरातात्विक साक्ष्य उपलब्ध नहीं हुआ है। ___ उत्तर भारत के कुछ ही राजाओं ने जैन धर्म को अंगीकार किया, जिनमें चन्द्रगुप्त मौर्य खारवेल, नागभट्ट द्वितीय और कुमार पाल प्रमुख हैं। बाहरवीं शती ई. तक के अधिकांश राजवंशों के शासकों का जैन धर्म के प्रति उदार दृष्टिकोण रहा था। इसके दो प्रमुख कारण दृष्टिगोचर होते हैं, प्रथम भारतीय शासकों की धार्मिक सहिष्णुता तथा द्वितीय, जैन धर्म की व्यापारियों, व्यवसायियों एवं सामान्यजनों के मध्य विशेष लोकप्रियता। ____ एक महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि जैन धर्म और कला को शासकों से अधिक व्यापारियों, व्यवसायियों एवं सामान्य जनों का समर्थन और सहयोग प्राप्त हुआ। शूरसेन जनपद के कुषाण कालीन लेखों से तत्कालीन सभ्यता एवं संस्कृति के विषय में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होती है। भारतीय संस्कृति के अनेक अंगों के पुष्पित-पल्लवित करने में जैन धर्म का उल्लेखनीय एवं महत्वपूर्ण योगदान है। जैन धर्म में स्वतन्त्र चिन्तन को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। अहिंसा त्याग और परोपकार इस धर्म के आधार-स्तम्भ हैं। तीर्थंकर महावीर स्वामी ने जैन धर्म को
SR No.022668
Book TitleShursen Janpad Me Jain Dharm Ka Vikas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSangita Sinh
PublisherResearch India Press
Publication Year2014
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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