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________________ शूरसेन जनपद में जैन संस्कृति 137 47. ओझा, गौरीशंकर; भारतीय लिपिमाला, पृ. 2 48. जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति, 3.54; रीजडेविड्स; बुद्धिस्ट इण्डिया, पृ. 108 49. बृहत्कल्पभाष्य, पीठिका 195; निशीथचूर्णी 5, पृ. 361 50. ललित विस्तार, पृ. 126 51. पुण्यविजय; भारतीय जैन श्रमण संस्कृति लेखनकला, पृ. 8 52. समवायांग, पृ. 57; औपपातिक सूत्र 34, पृ. 146 53. आचारांग चूर्णी, पृ. 255 54. समवायांग, पृ. 57 55. अलंकारतिलक 1.1 56. भरतमूनि; नाट्यशास्त्र, 17.48 57. प्राकृत व्याकरण, 8.4.287 58. दशवैकालिकवृत्ति, पृ. 203 59. प्राकृत प्रकाश 12.38 60. बृहत्कल्पभाष्य, पृ. 644 61. ज्ञातधर्मकथांग, 1/76, कल्पसूत्र, 98 62. औपपातिक सूत्र; राजप्रश्नीय सूत्र 2 63. वसुदेवहिण्डी, भाग-1, पृ. 195 64. जातक कथा, 5/45 65. ज्ञातधर्मकथांग, 1/76 66. ज्ञातधर्मकथांग, 3/5 67. ज्ञातधर्मकथांग, 3/5 68. वाजपेयी, कृष्णदत्त; मथुरा के जैन बेदिका-स्तम्भ, पृ. 44, 45; भास्कर जैन सिद्धान्त, भाग-2, आरा जून 1953
SR No.022668
Book TitleShursen Janpad Me Jain Dharm Ka Vikas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSangita Sinh
PublisherResearch India Press
Publication Year2014
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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