SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 159
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ शूरसेन जनपद में जैन संस्कृति 135 7. हरिवंश पुराण, 1137/2; तिलोयपण्णति, 547 8. जैन, बलभद्र; उत्तर प्रदेश के दिगम्बर जैन तीर्थ, भाग-1, पृ. 66 9. जैन, अनेकान्त कुमार; राग को भी हिसा मानते थे महावीर; दैनिक जागरण, 11 अप्रैल, 2006 10. विवाग सूय, 6; नागार्च, बिहारी लाल; शूरसेन जनपद की जैन विरासत, पृ. 98, ऋषभ सौरभ, दिल्ली 1998 11. यादव; झिनकू, जैन धर्म की ऐतिहासिक रूपरेखा, पृ. 44 12. यादव; झिनकू, पू. नि., पृ. 44 13. यादव; झिनकू, पू.नि., पृ. 44, 45 14. नागार्च, बिहारी लाल; पू.नि., पृ. 97 15. नागार्च, बिहारी लाल; पू.नि., पृ. 98 16. राज्य संग्रहालय लखनऊ संख्या जे. 22, जे. 45, जे. 49, जे. 61 17. पद्यचरितम्, 2, 24, 31 18. चन्द्र मोती; पू.नि., पृ. 16 19. विनयपिटक, 3, 2 20. चन्द्र मोती; पू.नि., पृ. 25; लाहा, बी.सी.; प्राचीन भारत का ऐतिहासिक भूगोल, पृ. 67 21. दिग्विजयपर्व, 2/28/11,2/28/39 22. रायचौधरी, एच.सी.; पॉलिटिकल हिस्ट्री ऑफ ऐन्श्येन्ट इण्डिया, पृ. 81 (षष्टम् संस्करण) 23. दिव्यावदान, 26, 353 24. जातक, 3.447, मोतीचन्द्र, पू.नि., पृ. 3; पॉल, आर.के., साउथ पांचाल, पृ. 99 25. पद्यचरितम् 2, 24, 31
SR No.022668
Book TitleShursen Janpad Me Jain Dharm Ka Vikas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSangita Sinh
PublisherResearch India Press
Publication Year2014
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy