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शूरसेन जनपद में जैन धर्म का विकास
जैन
5. जैन, ज्योति प्रसाद; जैन कला का उद्गम और उसकी आत्मा, कला और स्थापत्य, भाग 1, पृ. 41
116
आश्वालायन, गृह्यसूत्र, 4, 5, 9, 10, (नारायण भाष्य ) पूना, 1936 (सं.) बी. एस. रानाडे
7. स्मिथ, बी. ए., पू. नि., पृ. 9
8. जैन, ज्योतिप्रसाद; पू. नि. पृ. 38
6.
9. घोष, अमलानन्द; प्रस्तावना, जैन कला और स्थापत्य, भाग 1, पृ. 5 10. लांगहर्स्ट, ए. एच.; हम्पी,
पृ. 99
11. ऋग्वेद, 2.20, 8, 7, 3.7, 7, 15, 14, पृष्ठ 57
12. रामायण, उत्तरकाण्ड, 70-5, 6, 8
13. कनिंघम, एं.; आर्कयोलॉजिकल सर्वे रिपोर्ट, जिल्द 20, पृ. 31; कल्याण, विजय; श्रमण भगवान महावीर, पृ. 379
14. शाह, यू.पी.; स्टडीज इन जैन आर्ट, पृ. 63
15. ऋग्वेद, 7-2-1, 1-24-27
16. मीत्तल, प्रभुदयाल, ब्रज की कलाओं का इतिहास,
पृ. 21
17. राज्य संग्रहालय लखनऊ संख्या जे. 20
18. एपिग्राफिया इण्डिका भाग 2, सं. 20; ल्यूडर्स लिस्ट, सं. 47; ऑर्किलॉजिकल सर्वे रिपोर्ट, पृ. 141 : मथुरा इन्स्क्रिप्शन्स, पृ. 41, 42
19. मीत्तल, पू. नि., पृ. 23
20. अग्रवाल, वि. एस.; इण्डियन आर्ट,
21. भगवती व्याख्याप्रज्ञप्ति सूत्र, 32, 143
22. 2, 23
23. हरिषेण; बृहत्कथाकोष, 12, 132
24. 1, 1774
पृ. 231