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________________ 222 तिलकमञ्जरी में काव्य सौन्दर्य भाषा शैली भावों की सम्यक् अभिव्यक्ति का सुन्दरतम व सशक्त साधन भाषा होती है। जो कवि भाषा और भावों के मध्य सामञ्जस्य स्थापित नहीं कर सकता, वह सुकवि नहीं हो सकता। वर्णनानुकूल भाषा विषय-वस्तु के भावों को रमणीय ढंग से सम्प्रेषित करती है। सुकवि अपने काव्य को प्रभावोत्पादक बनाने के लिए वर्णनानुकूल वर्ण संयोजन व भाषा शैली का आश्रय लेता है। प्रतिभा सम्पन्न कवि काव्य रचना में प्रवृत्त होने से पहले अपने पूर्ववर्ती कवियों की रचनाओं का अध्ययन करता है जिससे वह अपने काव्य में नवीनता का समावेश कर सके। धनपाल के समक्ष भी दण्डी, सुबन्धु व बाण की गद्य रचनाएँ व उनकी गद्य शैली के आदर्श उपस्थित थे। धनपाल बाण से अत्यधिक प्रभावित थे - केवलोऽपि स्फुरन्बाणः करोतिविमदान्कवीन् । किं पुनः क्लृप्तसंधानपुलिन्ध्रकृतसन्निधिः ॥' बाण ने काव्य में पाँच गुणों के सन्निवेश पर बल दिया है - नवीन अर्थ, सुन्दर स्वाभावोक्ति, सरल श्लेष, स्पष्ट प्रतीत होने वाला रस तथा विकटाक्षरबन्ध। धनपाल ने बाण से प्रभावित होते हुए भी तिलकमञ्जरी में विकटाक्षरबन्ध अर्थात् दीर्घ समास रचना का त्याग किया है। धनपाल का मत है कि अतिदीर्घ समास से युक्त तथा प्रचुर वर्णनों वाले गद्य से भयभीत होकर लोग उसी प्रकार से निवृत्त होते हैं, जैसे खण्डरहित दण्डकारण्य में रहने वाले पीतादि वर्णों वाले व्याघ्र आदि से। धनपाल ने श्लेष-बहुलता को भी काव्य रसास्वादन में बाधक मानते हुए कहा है -"सरस, मनोहर वर्ण-योजना को धारण करती हुई भी श्लेष बहुल काव्य रचना लिपि के समान प्रशंसा को प्राप्त नहीं करती। 1. 2. ति. म., भूमिका, पद्य 26 नवोऽर्थो जातिरग्राम्या श्लेषोऽक्लिष्टो स्फुटो रसः । विकटाक्षरबन्धश्च कृत्स्नेमेकत्र दुर्लभम् ।। हर्ष., 1/18 अखण्डदण्डकारण्यभाजः प्रचुरवर्णकात् । व्याघ्रादिवभयाघ्रातो गद्याव्यावर्तते जनः ।। ति. म., भूमिका पद्य 15 प्रत्यक्षरश्लेषमयप्रबन्धविन्यासवैदग्ध्यनिधिर्निबन्धनम् । वासवदत्ता, पद्य 13 वर्णयुक्तिं दधानापि स्निग्धाञ्जनमनोहराम् । नातिश्लेषघना श्लाघां कृतिलिपिरिवाश्नुते ।। ति. म., भूमिका, पद्य 16
SR No.022664
Book TitleTilakmanjari Me Kavya Saundarya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Garg
PublisherBharatiya Vidya Prakashan2017
Publication Year2004
Total Pages272
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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