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अत्यधिक सुबोध, अल्पसमासयुक्त एवं ललित तथा प्रान्जल भाषा में रची। उनका आदर्श गद्य 'नाति श्लेषधन' था ।
तिलकमंजरी राजकुमार हरिवाहन एवं विद्याधरी तिलकमंजरी की प्रेमकथा है, अतः ग्रन्थ का नामकरण नायिका के नाम के आधार पर है । इसकी कथा जैन धर्म के सिद्धान्त ग्रन्थों की प्राख्यायिकाओं पर आधारित है ।
प्रस्तुत पुस्तक छ: अध्यायों में विभक्त है । प्रथम अध्याय धनपाल के जीवन, काल निर्धारण तथा रचनाओं के उपलब्ध सामग्री के आधार पर विवेचन से सम्बद्ध है । धनपाल सर्वदेव का पुत्र एवं देवर्षि का पौत्र था इनके भ्राता शोभन ने श्री महेन्द्रसूरि से जैन धर्म में दीक्षा प्राप्त की थी तथा कालान्तर में भ्राता के प्रभाव से इन्होंने भी जैन धर्म स्वीकार कर लिया था । वे परमार नरेशों की राज सभा के सम्मान्य एवं अग्रणी कवि थे । बाह्य तथा अन्तः साक्ष्य के आधार पर उसका समय, 10वीं सदी का उत्तरार्ध तथा 11वीं सदी का पूर्वाधं निश्चित होता है । उसकी प्रसिद्धि प्रमुखतः तिलकमंजरी पर ही आधारित है । ऋषभपंचाशिका, पाइयलच्छीनाममाला, वीरस्तुति सत्यपुरीयमहावीरोत्साहादि उनकी अन्य रचनाएं हैं । द्वितीय अध्याय में तिलकमंजरी के कथानक प्रस्तुत किया गया है । सर्वप्रथम कथा का सारांश प्रासंगिक तथा आधिकारिक भेदों का निरूपण किया गया है । तत्पश्चात् वस्तुविन्यास की दृष्टि से तिलकमंजरी के कथानक का मूल्यांकन किया गया है, जिसमें प्रमुख कथा - मोड़ों का स्पष्टीकरण तथा उद्देश्य वर्णित किया गया है । तदनन्तर परवर्ती कवियों द्वारा तिलकमंजरी के तीन पद्य रूपान्तरों एवं तिलकमंजरी के टीकाकारों का विवरण दिया गया है ।
का विवेचनात्मक अध्ययन प्रस्तुत करके कथावस्तु
तृतीय अध्याय में व्युत्पत्ति की दृष्टि से धनपाल के पांडित्य को विवेचित करने वाली सामग्री का संकलन करके तिलकमंजरी का मूल्यांकन किया गया है । वेद-वेदांग, पौराणिक साहित्य, दार्शनिक साहित्य तथा धर्मशास्त्र, आयुर्वेद, गणित संगीत, चित्रकला, सामुद्रिक शास्त्र, साहित्य शास्त्र, अर्थ शास्त्रादि विभिन्न शास्त्रों से सम्बन्धित सामग्री का विवेचन इस अध्याय में किया गया है ।
चतुर्थ अध्याय में साहित्यिक विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है, जिसमें कथा तथा आख्यायिका तिलकमंजरी : एक कथा, धनपाल की भाषा, शैली, तिलकमंजरी में अलंकारों का प्रयोग, रसाभिव्यक्ति आदि विषयों पर प्रकाश डाला गया है ।
पंचम एवं षष्ठ अध्याय में तिलक मंजरी कालीन सामाजिक एवं सास्कृतिक स्थिति का विशद एवं विस्तृत ब्यौरा दिया गया है । तत्कालीन मनोरंजन के