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________________ धनपाल का पाण्डित्य 77 पर ब्राह्मणों को गोदान एवं स्वर्णदान देने का वर्णन किया गया है ।। नामकरण के अतिरिक्त अन्नप्राशन तथा उपनयन संस्कार वेदोक्त विधि से सम्पन्न किये गये थे । उसका छठे वर्ष में उपनयन संस्कार किया गया था । गन्धर्व-विवाह का उल्लेख आया है। मलयसुन्दरी की माता गन्धर्वदत्ता का कुसुमशेखर के साथ गान्धर्व-विधि से विवाह सम्पन्न हुआ था। इसी प्रकार तारक का प्रियदर्शना से गान्धर्व-विवाह हुआ था । इसी प्रसंग में प्रतिलोभ विवाह का भी उल्लेख आया है। वैश्य पुत्र तारक का विवाह शद्र कन्या प्रियदर्शना के साथ हुआ था क्योंकि दुष्कुल से भी सुन्दर कन्यारत्न का ग्रहण करना शास्त्रानुकूल है।' पितरों को निवाप-दान देने का अनेक बार उल्लेख आया है । निवा. पाज्जलि तिलोदक से दी जाती थी। पित-तर्पण का भी वर्णन आया है।10 पंचमी-श्राद्ध सम्पन्न करने का उल्लेख किया गया है । याज्ञवल्क्य-स्मृति में ब्रह्मचारी द्वारा ब्रह्मसूत्र धारण करने का विधान किया गया है-दण्डाजिनोपवीतानि मेखला चैव धारयेत् (1/29)। विद्याधरमुनि 1. दत्त्वासमारोपिताभरणाः सवत्साः सहस्रो गाः सुवर्ण च...... -वही, पृ. 78 2. अखिलवेदोक्तविधिना......"निवतितान्नप्राशनादिकसलसंस्कारस्य....... -वही, पृ. 78 3. अवतीर्णं च षष्ठे ......"उपनिन्ये च तेभ्य:........ -वही, पृ. 78-79 4.. तामुपयम्यसम्यग्विहितेन विवाहविधिना गान्धर्वेण ........ -तिलकमंजरी, पृ. 343 5. वही, पृ. 129 स्वजातिनिरपेक्षस्तत्रव........ -तिलकमंजरी, पृ. 129 7. 'दुष्कुलादपि ग्राह्यमंगनारत्नम्' इत्याचार्यवचनम् ....... -वही, पृ. 129 (क) वत्स, निवापदानरिदानीमायुष्मतासंभाविता स्मः..."पितृभिः, -वही. पृ. 20 (ख) दशरथात्मजेन......"निवापांजलिः, - वही, पृ. 135 (ग) निवापसलिलांजलिभिव प्रदातुम् ....... -वही, पृ. 409 9. दत्त्वा संगरसमाप्तप्राणेभ्यो......."तिलोदकं निवापांजलिम्........ वही, पृ. 97 10. पुण्यासु कृष्णचतुदर्शीषु दुविधतक्षत्रियनरेन्द्रनिहतस्य"....."करोमि तर्पणम् । -वही, पृ. 51 11. उपकल्प्यमानपंचमीश्रादम्, - वही, पृ. 64
SR No.022662
Book TitleTilakmanjari Ek Sanskritik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPushpa Gupta
PublisherPublication Scheme
Publication Year1988
Total Pages266
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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