SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 77
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ धनपाल का पाण्डित्य 67 गया है (पृ. 203, 47, 87)। राहु को विधुन्तुद एवम् सैहिकेय भी कहा जाता है (पृ. 203,87, 47)। लक्मण यह राम के भ्राता एवं सुमित्रा के पुत्र थे, अतः इन्हें सुमित्रासुत (पृ. 136) तथा सौमित्रि (204) कहा जाता है। लक्ष्मण की पत्नी उर्मिला थी।' रावण के साथ युद्ध करते हुए ये मूच्छित हो गये थे। लक्ष्मी यह विष्णु की पत्नी है (पृ. 43)। इसकी उत्पत्ति समुद्र-मन्थन से हुई थी (पृ. 205), अतः समुद्र का उसके प्रति वात्सल्य दर्शित किया गया है (पृ. 43)। मेघवाहन द्वारा राजलक्ष्मी की आराधना करने का वर्णन किया गया है (पृ. 34,46)। लक्ष्मी श्वेत कमल के आसन पर बैठती है एवम् कमलों के वन में निवास करती है (पृ. 54)। लक्ष्मी का निवास स्थान पद्म नामक महाहद कहा गया है (पृ. 61)। वासुकि वासुकि नाग पाताल का अधिपति है (पृ. 12, 57)। समुद्र-मन्थन के समय बलि ने बलपूर्वक वासुकि को खींचा था। विभीषण यह रावण का कनिष्ठ भ्राता था (पृ. 135)। इसके द्वारा राम को रावण की शक्ति के विषय में सूचना देकर सहायता की गई थी (पृ. 136)। रावण की मृत्यु के पश्चात् लंका में विभीषण का सौराज्य स्थापित होने का उल्लेख किया गया है (पृ. 135)। विष्णु तिलकमंजरी में विष्णु सम्बन्धी अनेक पौराणिक आख्यानों का संकेत मिलता है । विष्णु के लिए प्रयुक्त विभिन्न शब्द उनकी भिन्न-भिन्न विशेषताओं को लक्षित करते हैं । तिलकमंजरी में विष्णु के निम्न 19 पर्याय दिये गये हैंपुरुषोत्तम (1), अज (2), विष्णु (3), वासुदेव (11), अच्युत (13, 120), कंसद्विष (16), दानवारि (20), संकर्षणानुज (52), असुरारि (43, 122), हरि 1. सौमित्रिचरितमिव विस्तारितोमिलास्यशोभम्, -वही, पृ. 204 2"शक्तया समिति सुमित्रासुतस्थ मूीनिपतनस्थानम्, -वही, पृ. 136 3. वासुकिरपि......."पालयति पातालगराणि । -तिलकमंजरी, पृ. 57 4. मथनाविष्टे बलिहठाकृष्टवासुकीफणापीठगलितः... -वही, पृ. 122
SR No.022662
Book TitleTilakmanjari Ek Sanskritik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPushpa Gupta
PublisherPublication Scheme
Publication Year1988
Total Pages266
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy