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धनपाल का जीवन, समय तथा रचनायें
(4) थारापद्रगच्छ के शान्तिसूरि धनपाल के समसामयिक कवि थे । 1
इन्होंने तिलकमंजरी में उत्सूत्रादि दोषों के प्ररूपण के लिये उसे संशोधित किया था । इनकी मृत्यु वि० सं० 1096 अर्थात् ई० 1039 में हुई ।
अतः यह प्रमाणित हो जाता है कि धनपाल ने राजा भोज की सभा को विभूषित किया था । भोज का राज्यकाल 1018 -1055 ई० के मध्य माना जाता है । अतः ग्यारहवीं शती के पूर्वार्द्ध में धनपाल की विद्यमानता सिद्ध हो जाती है ।
धनपाल के समय की अन्तिम सीमा निर्धारण करने के लिये हमें एक महत्वपूर्ण अन्तरंग प्रमाण प्राप्त होता है । धनपाल ने अपनश भाषा में " सत्यपुरीय - महावीर - उत्साह की रचना की थी । इसमें उसने महमूद गजनवी द्वारा सोमनाथ आदि तीर्थों के विनाश का स्पष्ट उल्लेख किया है 15: महमूद गजनवी ने ई० 1026 में सोमनाथ मंदिर का भंग किया था । " अतः यह रचना निश्चित रूप से 1026 ई० के बाद की है ।
निम्नलिखित परवर्ती कवियों के उद्धरणों से भी धनपाल के कालनिर्धारण में सहायता मिलती है
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अणहिल्लपुरे श्रीमद् श्रभीमभूपाल संसदि 1 शांतिसूरिः कवीन्द्रोऽभूद्वादिचक्रीति विश्रुतः ||21|| अन्यदाऽवन्तिदेशीयः सिद्धसारस्वतः कविः । ख्यातोऽभूद् धनपाला ख्यः प्राचेतस इवापरः ।। 22।। - प्रभावकचरित,
पृ० 133
चासावुत्सूत्रादिप्ररूपणात् ।
अशोधयदिमां शब्दसाहित्यदोषास्तु सिद्धसारस्वतेषु किम् ॥ 2021 प्रेमी, नाथूराम: जैन साहित्य और इतिहास, पृ० 325,
वही, पृ० 145
मुनि जिनविजय (स०), जैन साहित्य संशोधक, खंड 3, अंक 3, पृ० 241
मंजेविणुसिरिमालदेसु अनुअणहिलवाडउं चड्डावलि सोरटु भग्गु पुणु देउलवाडउं । सोमेसरू सोतेहि मग्गु जणमणआणंद
मग्गु न सिरि सच्चउरिवीरू सिद्वत्थहनंदणुं ॥
- सत्यपुरीयं - महावीर - उत्माह, पद्य 3
Mabel, C. Duff, The Chronology of India, Westminister, 1899, p. 194.