SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 211
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ तिलकमंजरी का साहित्यक अध्ययन 201 भेद कहे गये हैं- (1) रक्तशालि (2) कमलशाली (3) महाशालि । कलम भी शालि का ही एक प्रकार था। कालिदास ने भी गन्नों की छाया में बैठकर गाती हुयी शालि की रखवाली करने वाली स्त्रियों का उल्लेख किया है। पके हुए कलम की सुगन्ध से वनानिल सुगन्धित हो रही थी। अन्यत्र पके हुए कलम के खेतों से कपिलायमान ग्राम की सीमाओं का उल्लेख किया गया है । तैयार की गई सामग्री (1) मोदक- तिलकमंजरी में मोदक का चार बार उल्लेख है । मोदक को देखते ही लार टपकाने वाला स्वादिष्ट व्यंजन कहा गया है । समुद्र के खारे जल से नष्ट हुए मोदकों का उल्लेख किया गया है। मोदकादि पकवान कामदेव की पूजन-सामग्री में रखे गये थे। चावल, गेहूं अथवा दाल के आटे को भून कर घी, चीनी अथवा गुड़ डालकर गेंद के समान गोल-गोल बनाये जाने वाले मिष्टान्न को मोदक कहते थे। (2) पायस-पायस खीर को कहते थे । घोषाधिप द्वारा भ्रमण करते हुए पथिक दारकों को बुला-बुलाकर पायस बांटी जा रही थी। (3) फेनिका-305 (4) शोकवति-305 (5) खण्डवेष्ट-305 (6) प्रोदन-117 पके हुए चावलों को प्रोदन कहा जाता था । गोरस, अन्य द्रव्य एवं पेय (1) क्षीर-66 . (2) दधि-66, 72, 115, 117, 123, 197 (3) प्राज्य-117, 66 सपि-130 .. . (2) 1. Om Prakash Foods and Drinks in Ancient India P. 58 2. इक्षुच्छायानिषादिन्यः शालिगोप्यो जगुर्यशः । कालिदाश रघुवंश पू० 4/120 3. उदारकलमकेदारपरिमलामोदितवनानिलाम्, -तिलकमंजरी, पृ० 116 4. उत्पाकवलमकेदारकपिलायमान सकलग्रामसीमान्तम्, वही, पृ० 5. दृष्टमात्र: क्षुदुपवृहणो मोदकादि........ -वही पृ० 50 6. विनष्टाः क्षारोदकेन मोदकाः........ -वही पृ० 139 7. वही पू० 305 8. Om Prakash Foods and Drink in Ancint India P. 287 9. सतोषघोषाधिपसमायमानपर्यटत्पायसाथिकपटकः, तिलकमंजरी, पृ. 117
SR No.022662
Book TitleTilakmanjari Ek Sanskritik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPushpa Gupta
PublisherPublication Scheme
Publication Year1988
Total Pages266
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy