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________________ तिलकमंजरी का साहित्यिक अध्ययन तिमि, तिमिंगल, शकुल, शफरादि प्रकार की विभिन्न मत्स्यों, दन्दशुक, दुन्दुभ जल-सर्पों सिंहमकर, करियादस, जलरंकु जल- पशुओं के दुर्लभ उल्लेख इसमें मिलते हैं । इसी प्रकार मारुदण्ड तथा मद्गु आदि जलीय पक्षियों का भी वर्णन किया गया है । इन पशु-पक्षियों के भोजन तथा उनके स्वाभाविक क्रिया-कलापों का भी वर्णन किया गया है । इनमें पालतू तथा हिंस्र दोनों ही प्रकार के पशु तथा पक्षियों का भी उल्लेख किया गया है । दात्पूह नामक पक्षी रति-गृहों में पाला जाता था, चकोर, शुक, सारिका, क्रौंच, कपोत राजभवन के प्राहारमण्डप में विषाक्त भोजन के परीक्षरणार्थं पाले जाते थे । पक्षी-वर्ग 187 (1) उलूक 151, 351 इसे दिन में दिखाई नहीं पड़ता, 1 अतः इसे दिनान्धवयस भी कहा जाता है 238 । इसका अपर नाम कौशिक भी है 238 (2) कपिंजल 211 पक्षी विशेष (3) कपोत 211,222 पारापत 158,215,220,359, 364 ( 4 ) कलहंस 22, 158, 204, 253, 301, 341, 361 । कलहंसों द्वारा नूपुरों की ध्वनि का अनुसरण किया जाना वर्णित किया गया है । 341 (5) कलविंक 67, 126 चटक - 330 । इसका वर्ण कृष्ण है 126 ( 6 ) कादम्ब 89,105,116,391 (7) कारण्डव 181, 425 यह कौवे के समान काले पैरों वाले बतख विशेष का नाम है | 2 (8) कुक्कुट 210 कृकवाकु 152 । (9) कुरर 116,181,261,425 । ( 10 ) कोकिल 69,126,211,261,270,297 1 कलकण्ठ 106, 180, 221,351 | पिक 135,297,353 परमृत 314 (11) क्रोंच8, 69, 120, 210, 253,401 क्रौंचयुगल को परस्पर कमलकेसर के ग्रास देते हुए वर्णित किया गया है। क्रौंच पक्षी विषाक्त अन्न को देखकर मदमत्त हो जाता है । 4 1. मुकुलितोलूकचक्षुरालोकसम्पदि, 2. अमरकोष 2/5/34 3. परस्परवितीर्णतामरस केसरकवलानि, 4. केषांचित्क्रौंचवयसामिव मदावहेषु, - तिलक मंजरी, पृ. 151 - तिलकमंजरी, पृ. 210 - वही, पृ. 410
SR No.022662
Book TitleTilakmanjari Ek Sanskritik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPushpa Gupta
PublisherPublication Scheme
Publication Year1988
Total Pages266
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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