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________________ तिलकमंजरी का साहित्यिक अध्ययन अंगराग का उल्लेख है 313 कुंकुम द्रव से पैरों की सजावट भी की जाती थी । नवीन कुंकुम द्रव से रंगे हुए चरण कमलों के चिन्हों से कांची नगरी की सोधा भूमियों पर पंकज के उपहार व्यर्थ हो जाते थे 261 | 7 हरिद्रा द्रविड देश की स्त्रियां सायंकालीन स्नान के पश्चात हल्दी का लेप करती थी (261) । सिन्दूर मांग में सिंदूर भरने का उल्लेख किया गया है । कुसुमशेखर अपने शत्रुओं की स्त्रियों की मांग के सिन्दूर के लिए समीर के समान था 262 । अन्जन 10, 24, 213, कज्जल 27, 36, 46, 48, 54 पटवास 73 पिष्टातक 76 अलक्तक 181 अलक्तक का होठों पर लगाना वर्णित किया गया है ओष्ठमुद्रालक्तक, g. 153 1 यावक आवक अर्थात् अलक्तक का होठों तथा पैरों में सजाने का उल्लेख प्राता है 157, 2011 केश विन्यास तिलकमंजरी में केशविन्यास सम्बन्धी प्रचुर सामग्री प्राप्त होती है । तिलकमंजरी में केशों के लिए अलक, कुन्तल, केश, कच, जटा, चिहुरचय, शिरसिजकलाप शब्द आये हैं । केशों को धोकर धूप से सुगन्धित कर सुखा लिया जाता था तथा तदनन्तर पुष्पों एवं पत्तों प्रादि के द्वारा कलात्मक ढंग से सजाया जाता । तिलकमंजरी में केश के संवारने के छ; प्रकारों का उल्लेख है अलक, केशपाश, कुन्तलकलाप, कबरी, वलि, मौलिबन्ध प्रादि । अलक अलक चूर्ण के द्वारा घुंघराले बनाये गये बालों को कहते थे । तिलकमंजरी 1. अलकाश्चचूर्णकुन्तल: - अमरकोष, 2/6/96
SR No.022662
Book TitleTilakmanjari Ek Sanskritik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPushpa Gupta
PublisherPublication Scheme
Publication Year1988
Total Pages266
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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