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श्रीमद्वाग्भटविरचितं नेमिनिर्वाणम् : एक अध्ययन ३८. नेमिनाह चरिय (रलप्रभसूरि)। ___यह एक गद्य-पद्यमय रचना है जो छः अध्यायों में विभक्त है । यह नेमिनाथ पर रचित विशाल रचना है । इसका ग्रन्थान १३६०० प्रमाण है। रचयिता : रचनाकाल
__ इस रचना के रचयिता बृहद्गच्छ के वादिदेवसूरि के शिष्य रतनप्रभसूरि है जिसकी रचना वि० सं० १२३३ (सन् १९७६ ई०) की है। ३९. कृष्णचरित : कण्हचरिय दिवेन्द्रसूरि) ___ यह चरित श्राद्ध दिन कृत्य नामक ग्रन्थ के अन्तर्गत दृष्टान्त रूप में आया है। यह एक प्राकृत में रचित काव्य है । इसके अन्तर्गत ही नेमिनाथचरित (नमि निर्वाण) का वर्णन हुआ है । इसमें वसुदेव, कृष्ण, चारुदत्त, बलराम, नेमिनाथ आदि का वर्णन किया गया है। रचयिता : रचनाकाल इसके रचयिता तपागच्छीय देवेन्द्रसूरि हैं । इनका समय १४ वीं शताब्दी है।
अपवंश ४०. नेमिनाहचरिउ की प्रशस्ति (हरिभद्रसूरि)
यह अपभ्रंश भाषा में २३ पद्यों में लिखित प्रशस्ति है । रचयिता : रचनाकाल
__इस ग्रन्थ के लेखक आचार्य हरिभद्रसूरि हैं जो सं० १२१६ (सन् १९५९ ई०) में कुमारपाल के राज्यकाल में हुये हैं । मन्त्री पृथ्वीपाल की प्रेरणा से आचार्य ने यह ग्रन्थ लिखा था। इसलिए ग्रन्थकार ने अपनी गुरु परम्परा के परिचय के साथ इस मन्त्री के पूर्वजों का भी थोड़ा बहुत परिचय दिया है। ४१. मिणाह चरिउ (महाकवि रइयू)
इस चरितकाव्य में श्री नेमिनाथ (२२वें तीर्थङ्कर) का जीवन चरित वर्णित है । इसकी कथावस्तु १४ सन्धियों में विभक्त है और ३०२ कडवक हैं । इस पौराणिक महाकाव्य में भी रस, अलंकार आदि की योजना हुई है । इस काव्य में पुराण दर्शन के तत्त्व भी समृद्ध रूप से प्रयुक्त हैं। रचयिता : रचनाकाल
णेमिणाहचरिउ के रचयिता कवि रइधू हैं । इनका दूसरा नाम सिंहसेन था । इनके पिता का नाम हरिसिंह और पितामह का नाम संघपति देवराज था । उनकी माँ का नाम विजकत्री और
१. जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, भाग-६, पृ० - ८७ २. वही, पृ०-८८
३. वही, पृ०-१३१ ४. वही, पृ० - ४४३