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________________ तीर्थङ्कर नेमिनाथ विषयक साहित्य ५३ का नाम जिनसेन था । जिनसेन ने इस ग्रन्थ की रचना शक सं० ७०५ (सन् ७८३ ई०) वि० सं० ८४० में की थी। २१. नेमिनायपुराण (श्रीब्रह्मनेमिदत्त) इस पुराणे ग्रन्थ की रचना १६ अधिकारों में की गई है और इसमें नेमिनाथ का चरित्र अंकित किया गया है । उनके गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान और केवल्य इन पाँचों कल्याणकों का विस्तारपूर्वक वर्णन आया है ।। नेमिनाथ की अपूर्व शक्ति से प्रभावित होकर राजनीतिज्ञ श्री कृष्ण द्वारा प्रस्तुत की गई कूटनीति का भी चित्रण है । श्रीकृष्ण की कूटनीति के कारण ही नेमिनाथ विरक्त होते हैं । बिलखती हुई राजुल के आँसुओं का प्रभाव भी उन पर नहीं पड़ता । कवि ने सभी मर्मस्पर्शी कथाओं का उद्घाटन किया है । अन्त में इस चरित को मोक्ष पद बताया गया है । रचयिता : रचनाकाल इस पुराणकाव्य के रचयिता श्री ब्रह्मनेमिदत्त हैं । ये मूलसंघ सरस्वतीगच्छ बलात्कारगण के विद्वान भट्टारक मल्लिभूषण के शिष्य थे । इस ग्रन्थ का रचनाकाल वि० सं० १८८५ (सन् १८२८ ई०) है। २२. सप्तसन्धान (महोपाध्याय मेघविजय) यह काव्य नौ सर्गों में लिखा गया है । प्रत्येक पद्य में श्लेष द्वारा ऋषभ, शान्ति, नेमिनाथ, पार्श्वनाथ और महावीर इन पाँचों तीर्थडरों एवं राम और कृष्ण इन सात महापुरुषों के चरित्र निकलते हैं। रचयिता : रचनाकाल ___ इस सन्धान के रचयिता १८ वीं शती के महोपाध्याय मेघविजय हैं जिनकी रचना सं० १७६० (सन् १७०३ ई०) में की गई है। २३. नेमिनाथ स्तोत्र (वस्तुपाल) यह एक नेमिनाथ पर रचित स्तोत्र रचना है । रचयिता : रचनाकाल इसके रचयिता वस्तुपाल हैं । इनका रचनाकाल १८ वीं शती है । २४. नेमिनाथचरित (सूराचार्य) यह २२ वें तीर्थङ्कर पर रचित एक काव्य है ।। १. जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, भाग-६, पृ०.४६ । २. तीर महावर और उनकी आचार्य परंपरा, भाग-३, पृ० ४०२-४०४ ३. जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, भाग-६, पृ० -५२९ ४. वही, पृ०-५२९ ५. द्रष्टव्य - वही, पृ० -५०१ ६. द्रष्टव्य - वही, पृ० - ११५
SR No.022661
Book TitleNemi Nirvanam Ek Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAniruddhakumar Sharma
PublisherSanmati Prakashan
Publication Year1998
Total Pages252
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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