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________________ ४९ तीर्थङ्कर नेमिनाथ विषयक साहित्य रचयिता : रचनाकाल श्री तिलकसूरिचन्द्रगच्छीय शिवप्रभसूरि के शिष्य थे जिनका रचनाकाल वि० सं० १२६१ (सन् १२०४ ई०) का है। ९. प्रत्येकबुद्धचरित यह एक संस्कृत रचित काव्य है जिसका पूरा नाम “प्रत्येकबुद्धमहाराजर्षिचतुष्कचरित्र" है। इसके प्रत्येक पर्व में चार सर्ग हैं और अन्त में एक चूलिका सर्ग है । इसके १७ सगों का श्लोक प्रमाण १०१३० है । प्रस्तुत सर्ग जिनलक्ष्मी शब्दांकित है । संभवतः यह जिनतिलक तथा लक्ष्मीतिलकसूरि को द्योतित करता है । १०. नेमिचरित (कवि रामन) सं० १२६१ में धनपाल के पिता कवि रामन ने नेमिचरित्र महाकाव्य लिखा ।। ११. नेमिनाथचरित्र वि० सं० १२८७ (सन् १२३० ई०) में कवि दामोदर ने सल्लखणपुर (मालवा) के परमारवंशी राजा देवपाल के राज्यकाल में यह चरित्र काव्य रचना की । १२. नेमिदूत (कवि विक्रम) २२वें तीर्थङ्कर पर रचा गया यह एक चरितकाव्य है । इसमें १२६ पद्य हैं । इसकी रचना में मेघदूत काव्य के अन्तिम चरण की समस्या पूर्ति की गई है जिसमें नेमिनाथ व राजीमती का विरह वर्णन है । वस्तुतः यह मेघदूत पर आधारित मौलिक काव्य रचना है । इसके नामकरण का यह अर्थ नहीं कि इसमें नेमिनाथ ने दूत का काम किया है बल्कि आराधक नायक नेमि के लक्ष्य से दूत (वृद्ध ब्राह्मण) भेजने के कारण इसका नेमिदूत नामकरण हुआ । मेघदूत में दूत नायक की तरफ से भेजा जाता है तो नेमिदूत में नायिका की ओर से ।। घटना प्रसंग इस प्रकार है कि नेमि अपने विवाह भोज के लिए बाड़े में एकत्र किये गये पशुओं का करुण क्रन्दन सुनकर विरक्त हो रेवतक पर्वत पर योगी बन जाते हैं । दुलहिन राजीमती एक वृद्ध ब्राह्मण को दूत बनाकर उन्हें मनाने के लिए भेजती है । अन्त में राजीमती का विरह शम भाव में परिणत हो जाता है । यह काव्य अपनी भाषा भाव और पद्य रचना में तथा काव्य गुणों से बड़ा ही सुन्दर बन गया है । कवि ने विरही जनों की यथार्थ दुःखमयी अवस्था का जो वर्णन किया है उससे मालूम होता है कि कवि ऐसे अनुभवों के धनी थे । शान्त रस प्रधान होने पर भी नेमिदूत सन्देश काव्य की अपेक्षा विरह काव्य अधिक है। १. जैन साहित्य का बृहद् इतिहस, भाग-६, पृ० - १६० ४. वही, पृ०-११५ २. वही, पृ० -१६१ ५. वही, पृ०-५४८ ३. वही, पृ० - ११५ ६. वही, पृ० -५४७
SR No.022661
Book TitleNemi Nirvanam Ek Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAniruddhakumar Sharma
PublisherSanmati Prakashan
Publication Year1998
Total Pages252
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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