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________________ ३६ श्रीमद्वाग्भटविरचितं नेमिनिर्वाणम् : एक अध्ययन ११५. भद्रबाहुचरित' : (रत्न कीति) भद्रबाहुचरित में इतिहास प्रसिद्ध राजा चन्द्रगुप्त और भद्रबाहु जैनाचार्य का आख्यान बड़े ही मनोरम ढंग से ४ सर्गों में गुम्फित किया गया है। कथानक परम्परा प्राप्त तथा शैली पौराणिकहै । रचयिता : रचनाकाल ___भद्रबाहुचरित के रचयिता का नाम रलकीर्ति है । संस्कृत साहित्य में रत्नकीर्ति नामक अनेक आचार्य हुये हैं । प्रकृत रत्लकीर्ति का रत्ननंदी नाम से भी उल्लेख पाया जाता है । ये अनंतकीर्ति के प्रशिष्य और ललितकीर्ति के शिष्य थे । भद्रबाहुचरित में की गई लुकामत की समीक्षा के आधार पर डा० नेमिचन्द्र शास्त्री ने इनका समय वि० सं० की १६ वीं शती का उत्तरार्द्ध माना है । ११६. श्रीपालचरित : (ब्रह्म नेमिदत्त) ___ श्रीपालचरित ९ सर्गात्मक काव्य है । इसमें कुष्टव्याधि से पीड़ित श्रीपाल के साथ मयनासुन्दरी का विवाह और सिद्धचक्र विधान के माहात्म्य से उनके नीरोग होने का वर्ण किया गया है। ११७. धन्यकुमारचरित : (ब्रह्म नेमिदत्त) ____ यह ५ सर्गात्मक ग्रन्थ है जिसमें धन्यकुमार का चरित वर्णित है । ११८. प्रीतिहरमहामुनिचरित : (ब्रह्म नेमिदत्त) यह भी ५ सर्गात्मक ग्रन्थ है जिसमें महामुनि प्रीतिङ्कर का चरित्र चित्रित किया है। ११९. सीताचरित : (ब्रह्म नेमिदत्त)। ____एक सीताचरित नामक चरित काव्य भी उपलब्ध होता है । रचयिता : रचनाकाल उपर्युक्त सभी ४ ग्रन्थों के रचयिता ब्रह्मनेमिदत्त हैं । ये मूलसंघ सरस्वतीगच्छ बलात्कारगण के भट्टारक मल्लिभूषण के शिष्य थे । इनके दीक्षागुरु का नाम भट्टारक विद्यानन्दि था । श्रीपालचरित की रचना १५२८ ई० में हुई थी । अतः इनका समय १६वीं शती का है । १२०. चन्द्रप्रभचरित : (भट्ठारक शुभचन्द्र) चन्द्रप्रभचरित ८ सर्गात्मक काव्य है जिसमें तीर्थङ्कर चन्द्रप्रभ का चरित वर्णित है । १.मूलचन्द किसनदास कापडिया गान्धी चौक सूरत से एवं पं० उदयपाल काशलीवाल के हिन्दी अनुवाद के साथ जैन भारती भवन बनारस सिटी वी०नि० सं० २४३७ में प्रकाशित २.तीथार महावीर और उनकी आचार्य परम्परा, भाग-३, पृ० - ४३६ ३. वही, पृ. ४३१-४३७ ४.जिनरलकोश, पृ० ४४२ ५ .तीहर महावीर और उनकी आचार्य परम्परा, भाग-३, पृ०-४०३ ६.भारतीय संस्कृति में जैन धर्म का योगदान, पृ० - १७४
SR No.022661
Book TitleNemi Nirvanam Ek Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAniruddhakumar Sharma
PublisherSanmati Prakashan
Publication Year1998
Total Pages252
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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