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________________ २८ श्रीमद्वाग्भटविरचितं नेमिनिर्वाणम् : एक अध्ययन रचयिता : रचनाकाल श्रीधरचरित काव्य के रचयिता माणिक्यसुन्दरसूरि हैं । ये आंचलिकगच्छीय मेरुतुंगसूरि के शिष्य थे। इनके विद्यागुरु जयशेखर सूरि थे । ८०. जम्बूस्वामीचरित : (ब्रह्म जिन दास ) यह ११ सर्गात्मक काव्य है जिसमें केवलज्ञानी जम्बूस्वामी का चरित वर्णित किया गया है। भाषा वर्णनानुकूल और सुभाषितों से समन्वित है । ८१. रामचरित : (ब्रह्म जिन दास) इस चरितकाव्य में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का चरित वर्णित है। इसकी कथावस्तु रविषेणाचार्य के पद्मपुराण से ली गई है। भाषा सरल एवं आलंकारिक है। धार्मिकता तथा दार्शनिकता का प्रतिपादन हुआ है। रचयिता : रचनाकाल इन दोनों चरितों के रचयिता का नाम ब्रह्मजिनदास है । ये कुन्दकुन्दान्वय सरस्वतीगच्छ के भट्टारक सकलकीर्ति के शिष्य थे । सकल-कीर्ति का समय ईसा की पन्द्रहवीं शताब्दी का प्रारम्भ है। अतः इनका समय इनके बाद माना जा सकता है इनकी रचनाओं से ज्ञात होता है कि मनोहर, मल्लिदास, गुणदास और नेमिदास इनके शिष्य थे। मूलतः ये राजस्थानी भाषा के कवि थे, पर संस्कृत में भी इन्होंने अनेक ग्रन्थ लिखे हैं । ८२. जयानन्दकेवलिचरित' : ( मुनि सुन्दर सूरि ) इस चरित में जयानन्दः केवली का चरित वर्णित है । प्रत्येकबुद्धों के समान कुछ केवलियों के चरितों पर भी जैन कवियों ने रोचक काव्य लिखे हैं । रचयिता : रचनाकाल जयानन्द केवली चरित के रचयिता मुनिसुन्दरसूरि हैं । ग्रन्थ की सर्गान्त पुष्पिका से ज्ञात होता है कि मुनिसुन्दरसूरि ज्ञानसागर के प्रशिष्य और सोमसुन्दर सूरि के शिष्य थे। इन्होंने इ काव्य की रचना वि० सं० १४७८ और १५०३ के मध्य (१४२१-१४४६ ई०) में की थी। ८३. महिपालचरित' : ( चारित्र सुन्दरगणि) महिपालचरित में राजा महीपाल की कल्पित चरितगाथा है । जिसमें १४ सर्ग हैं । ८४. कुमारपाल चरित : ( चारित्र सुन्दर गणि) यह चरित १० सर्गात्मक काव्य है । इस काव्य में कुमारपाल व उसके वंशजों की कुछ १. हीरालाल हंसराज जामनगर, वि० सं० १९६८ में प्रकाशित २.इति श्रीतपागच्छनायकश्रीदेवसुन्दरसूरिश्रीज्ञानसागरसूरिशिष्यश्रीसोमसुन्दरसूरिपदप्रतिष्ठितैः श्रीमुनिसुन्दरसूरिभिः विरचिते जयानन्द राज केवलिचरित्र सर्गान्त पुष्पिका ३. जिनरलकोश, पृ० १३४ ४. हीरालाल हंसराज जामनगर १९०८ ई० एवं १९१७ ई० में प्रकाशित ५. जैन आत्मानंद सभा भावनगर वि० सं० १९७३ में प्रकाशित
SR No.022661
Book TitleNemi Nirvanam Ek Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAniruddhakumar Sharma
PublisherSanmati Prakashan
Publication Year1998
Total Pages252
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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